नई दिल्ली। डॉमेस्टिक कुकिंग गैस LPG की कीमत पिछले 7 सालों में दोगुनी हो गई है। वहीं पेट्रोल और डीजल पर टैक्स में वृद्धि के चलते सरकार के राजस्व संग्रह में 459 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह जानकारी पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने दी है।
लोकसभा में ईंधन कीमतों में वृद्धि पर पूछे गए सवालों का लिखित जवाब देते हुए प्रधान ने सोमवार को कहा कि एक मार्च, 2014 को दिल्ली में 14.2 किलोग्राम एलपीजी सिलेंडर की खुदरा कीमत 410.5 रुपये थी, अब यही सिलेंडर दिल्ली में 819 रुपये में मिल रहा है। LPG की कीमत पिछले सात सालों के दौरान दोगुनी हो चुकी है।
बता दें कि पिछले केवल 32 दिनों में एलपीजी की कीमत 125 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ चुकी है। सरकार 4 फरवरी से चार बार एलपीजी के दाम बढ़ा चुकी है, जिससे घरों का बजट प्रभावित हुआ है।
वहीं पेट्रोल और डीजल की बिक्री से सरकार को आने वाले राजस्व में 459 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसकी वजह इन सालों में पेट्रोल व डीजल पर बढ़े हुए टैक्स हैं। प्रधान ने कहा कि 26 जून 2010 को पेट्रोल और 19 अक्टूबर 2014 को डीजल को सरकार के नियंत्रण से मुक्त कर दिया गया।
तब से पब्लिक सेक्टर की ऑयल मार्केटिंग कंपनियां इंटरनेशनल प्रोडक्ट प्राइस, रुपये की एक्सचेंज रेट, टैक्स स्ट्रक्चर, इनलैंड फ्रेट और अन्य लागत कारकों के आधार पर पेट्रोल और डीजल की कीमत पर निर्णय लेती हैं। मंत्री ने कहा कि 2013 में पेट्रोल-डीजल की बिक्री से सरकार को 52,537 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था।
यह 2019-20 में बढ़कर 2.13 लाख करोड़ रुपये हो गया। चालू वित्त् वर्ष 2020-21 के पहले 11 माह के दौरान केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी से 2.94 लाख करोड़ रुपये हासिल किए हैं।
अभी कितनी है एक्साइज ड्यूटी
वर्तमान में सरकार पेट्रोल पर 32.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.80 रुपये प्रति लीटर की दर से सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है। 2018 में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 17.98 रुपये और डीजल पर 13.83 रुपये प्रति लीटर थी। नवंबर 2014 और जनवरी 2016 के बीच, सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी को 9 बार बढ़ाया। इन 15 महीनों के दौरान पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 11.77 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13.47 रुपये प्रति लीटर बढ़ी है।
प्रधान ने कहा कि पेट्रोल, डीजल, एटीएफ, प्राकृतिक गैस और क्रूड ऑयल पर कुल एक्साइज ड्यूटी कलेक्शन 2016-17 में 2.37 लाख करोड़ रुपये था, जो अप्रैल-जनवरी 2020-21 में बढ़कर 3.01 लाख करोड़ रुपये हो गया।