कमज़ोर आपूर्ति के चलते अभी मसूर में और तेजी आने के आसार

0
442

कोटा। कनाडा के आयातित माल का पड़ता महंगा बैठने से बीते कुछ दिनों के दौरान मसूर की कीमतें नीचे स्तर से लगभग 500 रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ चुकी है, हाजिर माल की कमज़ोर आपूर्ति को देखते हुए नई फसल से पूर्व कीमतों में अभी 200 रुपए प्रति कुंतल और सुधार देखने मिल सकता हैं। हालांकि, बाज़ार के जानकार कीमतों के हर बढ़े हुए स्तर पर में स्टॉक के माल की मुनाफावसूली लेने की सलाह दे रहे है।

मसूर की बिजाई का रकबा उत्तर प्रदेश एमपी, राजस्थान तीनों ही राज्यों में गत वर्ष की अपेक्षा कुछ कम ही रहने के अनुमान है, लेकिन बिजाई की हुई फसल अभी तक चौतरफा बहुत ही बढ़िया बताई जा रही है।इस बार मसूर की फसल में फली अधिक लगने के साथ-साथ इसमें दाने भी बढ़िया बताए जा रहे हैं, जिससे प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में बढोत्तरी की पूरी उम्मीद बन गई है। फसल के अभी तक ग्रोथ को देखते हुए जानकार उत्पादक मंडियों के कारोबारियों से प्राप्त जानकारियों के आधार पर कुल उत्पादन 16/18 लाख मैट्रिक टन के क़रीब रहने के अनुमान रहनर कर अनुमान है जोकि बीते वर्ष के कुल उत्पादन से कही ज़्यादा है।

दूसरी ओर, देश की सालाना ख़पत 23/25 लाख मैट्रिक टन के आसपास रहने के अनुमान है। इस तरह से उत्पादन व आपूर्ति के बीच के अंतर को पूरा करने के लिए कनाडा सहित अन्य उत्पादक देशों से मसूर का आयात करके पूरी की जाएगी। सरकार द्वारा मसूर सहित कुछ अन्य दालों में आत्मनिर्भरता लाने के लिए बजट में एग्री इंफ्रासेस लगाने की घोषणा से किसानों को मसूर की ऊँची कीमतें मिली है और इससे आगे मसूर का बिजाई क्षेत्रफल बढ़ने की पूरी संभावना बन गयी है।

वर्तमान में 30 फ़ीसदी आयात शुल्क के साथ मसूर पर आयात जारी है इस पर एग्री इंफ्रा सेस लगने से और कुल शुल्क 36 प्रतिशत बैठेगा। जिससे पूर्व की तुलना में मसूर का आयात पहले की तुलना में महंगा हो जाएगा। वर्तमान मूंदड़ा में मसूर के भाव 5350 रुपए प्रति क्विंटल सुने जा रहे हैं। दिल्ली दाल दलहन बाज़ार भी कनाडा की मसूर का व्यापार 5600 रुपए प्रति कुंतल पर सुना जा रहा है।

आज वास्तविकता यह है कि मसूर की खड़ी फसल खेतों में बहुत बढ़िया है, हालाँकि,बिजाई का रकबा अपेक्षाकृत कुछ कम-ज़्यादा को लेकर कारोबारी अभी भी असमंजस है। किसान अब नक़दी फ़सल के रूप में सब्जियों की तरफ ज्यादा रुख बना चुके हैं। ऐसे में मसूर के बिजाई रकबे को मेंटेन रखते हुए उसमे बढोत्तरी की सम्भवना किसानों को प्रोत्साहन देने के ही बाद संभव है।

जानकार मानते हैं कि मसूर की फसल लगभग तैयारी की अवस्था मे है, लेकिन रुक-रुक कर मौसम खराब होने के बाद अब मध्यप्रदेश में मौसम का मिज़ाज बिगड़ने से फ़सल को बापस नुक़सान की खबरें मिल रही है। हालाँकि इससे पूर्व कुछ मंडियों नई मसूर की आवक का श्री गणेश होने की खबरें मिल रही है। हालांकि,अधिकाँश क्षेत्रों सेबउत्पादकता घटने की शिकायत भी आ रही है।

हाजिर माल की कमी होने एवं आयात पड़ता महंगा होने से आयातक भी लगातार भाव बढ़ा कर बोल रहे हैं। बाज़ार के जानकारों के अनुसार दाल मिलों में मसूर का स्टॉक बहुत ही कम बचा है। इसके अलावा मंडियों के व्यापारी भी मसूर की कीमतें लगातार कमज़ोर स्तर पर ही रहने से स्टॉक का व्यापार करने से बचते रहे हैं । कोरोना काल के दौरान काफी माल कटने के बाद आयी रुपए की तंगी से अधिकांश कारोबारी मसूर की लिवाली करने से पीछे हट गए थे।

अभी यूपी एवं बिहार की फसल आने में कम से कम 12/15 दिन का और समय लगेगा। इस वर्ष मध्यप्रदेश व राजस्थान में अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार फसल की उत्पादकता कमज़ोर रहने के साथ-साथ बिजाई घटने की अपुष्ट जानकारी के चलते कनाडा मसूर में अभी और तेजी के संकेत मिल रहे हैं, औऱ जानकार इसी लाइन पर क़ीमतें 5800 रुपए तक बनने के आसार नज़र आने लगे है