जयपुर। राजस्थान में वित्तीय लेन-देन के नाम पर हजारों करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने वाली क्रेडिट काे-ऑपरेटिव सोसायटीज के खिलाफ पहली बार प्रदेश में फॉरेंसिकऑडिट से जांच होगी। एसओजी ने इसका प्रस्ताव गृह विभाग को भेजा था। गृह विभाग ने अपनी मंजूरी देकर इसे वित्त विभाग को भेजा है। अब वित्त विभाग के स्तर पर भी इसे मंजूरी दे दी गई है। घोटालेबाजों की जड़ तक पहुंचने के लिए सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है।
फोरेंसिक ऑडिट के जरिए सरकार निवेशकों से धोखाधड़ी करने वाले मामलों में वित्तीय लेन-देन का पूरा ट्रैक रिकॉर्ड निकाला जाता है। यह जांच प्रक्रिया का ही एक हिस्सा है जिसमे कंपनी के वित्तीय विवरण की जांच के दौरान अपनाए जाने वाले तौर-तरीको का ही इस्तेमाल किया जाता है। फॉरेंसिक ऑडिट में किसी कंपनी के वित्तीय विवरण की जांच या मूल्यांकन के लिए एक निश्चित अवधि के दौरान हुए सभी लेन-देनों की जानकारी जुटाई जाती है।
75 हजार से अधिक शिकायतें
प्रदेश के विभिन्न थानों में क्रेडिट काे-ऑपरेटिव सोसायटीज की वित्तीय धोखाधड़ी के डेढ़ हजार से ज्यादा मामले दर्ज हैं। सरकार के पास आदर्श, संजीवनी, नवजीवन, सहारा सहित अन्य मल्टी स्टेट सोसायटीज तथा स्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटीज के खिलाफ पैसा हड़पने की 75 हजार से अधिक शिकायतें हैं।
प्रमुख गृह सचिव ने अभय कुमार बताया कि एक फॉरेंसिक ऑडिट किसी फर्म या व्यक्तिगत वित्तीय जानकारी का एक ऐसा मूल्यांकन है, जिसका प्रयोग अदालत में साक्ष्य के रूप में किया जाता है। इसमें सरकार कंपनी के वित्तीय लेने देन के लिए हुए मनी ट्रेल का पता लगाती है। पहली बार ऐसा हो रहा है।
एसओजी एडीजी अशोक राठौड़ ने बताया कि सरकार ने एसओजी को फारेंसिक ऑडिट की मंजूरी दे दी है। एसओजी प्राइवेट चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को हायर कर उनके जरिए यह ऑडिट करवाएगी।