नई दिल्ली। राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल खत्म हो रहा है। संसद में करीब तीन दशक बिता चुके गुलाम नबी आजाद की विदाई पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहद भावुक हो गए। पीएम मोदी ने रूंधे गले से आजाद संग बिताए पलों को याद किया और एक वक्त तो रो पड़े। मोदी ने कहा कि ‘गुलाम नबी आजाद के बाद इस पद (नेता प्रतिपक्ष) को जो संभालेंगे, उनको गुलाम नबी जी से मैच करने में बहुत दिक्कत पड़ेगी।’ इसके बाद मोदी ने उस वक्त का एक किस्सा सुनाया जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे और जम्मू-कश्मीर में गुजरात के यात्रियों पर आतंकी हमला हुआ था। उस समय गुलाम नबी आजाद ने जैसी चिंता गुजरात के लोगों के लिए दिखाई, मोदी उसका जिक्र करते हुए रो पड़े। मोदी ने गुलाम नबी आजाद को संसदीय लोकतंत्र में योगदान के लिए सैल्यूट भी किया।
गुलाम नबी के सुझाव पर मोदी ने बुलाई थी मीटिंग
मोदी ने कहा, “मैं एक फ्लोर लीडर्स की मीटिंग कर रहा था तो उसी दिन गुलाम नबी जी का फोन आया। मोदीजी ये तो ठीक हैं, आप करते हैं लेकिन आप एक काम कीजिए। सभी पार्टी लीडर्स की मीटिंग जरूर बुलाइए। मुझे अच्छा लगा कि उन्होंने सभी पार्टी अध्यक्षों के साथ बैठने का मुझे सुझाव दिया और मैंने उस मीटिंग को किया भी। इस प्रकार का संपर्क और उसका मूल कारण है कि आपको दोनों तरफ का अनुभव रहा है। 28 साल कार्यकाल… ये अपने आप में बहुत बड़ी बात होती है।
“जब राजनीति में नहीं थे मोदी तब…
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘बहुत साल पहले की बात है। मैं यहां सदन में किसी काम से आया था। तब चुनावी राजनीति में नहीं था। मैं और गुलाम नबी आजाद जी ऐसे ही लॉबी में गप्पें मार रहे थे। पत्रकार बराबर नजर लगाए बैठे थे कि ये दोनों का मेल कैसे हो सकता है। हम हंसी-खुशी से बातें कर रहे थे। हम जैसे ही निकले तो पत्रकारों ने घेर लिया। गुलाम नबी जी ने बहुत बढ़िया जवाब दिया और वो हम लोगों के लिए बहुत काम आने वाला है। उन्होंने कहा कि भाई देखिए… आप लोग हमको अखबारों में.. टीवी माध्यमों में लड़ते-झगड़ते देखते हो लेकिन सचमुच में इस छत के नीचे हम जैसा एक परिवार का वातावरण कहीं नहीं होता है।”