दोबारा असेसमेंट से पहले टैक्सपेयर को कारण बताएगा टैक्स विभाग : CBDT

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नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने स्पष्ट किया है किसी मामले में टैक्स असेसमेंट दोबारा शुरू करने से पहले करदाता को बताया जाएगा कि उनका मामला किन वजहों से खोला जा रहा है। मामला शुरू करने से पहले करदाताओं को जवाब देने की सुविधा दी जाएगी। अगर विभाग उनके जवाब से संतुष्ट हो जाता है तो मामला शुरू नहीं किया जाएगा। ये बातें सीबीडीटी के प्रमुख पीसी मोदी ने उद्योग संगठन सीआइआइ को संबोधित करते हुए शुक्रवार को कही। उन्होंने कहा कि इस कदम से आयकर विभाग के प्रति करदाताओं का भरोसा बढ़ेगा।

बजट 2021-22 में संदिग्ध आयकर मामलों के पुनर्मूल्यांकन की समयसीमा छह वर्ष से घटाकर तीन वर्ष कर दी गई है। हालांकि 50 लाख रुपये से ऊपर की किसी अनियमितता के मामले की जांच अगले 10 वर्षो तक कभी भी की जा सकेगी। बजट में इस बार लघु करदाताओं से जुड़े मामले के निपटान के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विवाद समाधान समिति (डीआरसी) बनाने के निर्णय से भी अवगत कराया। कर समाधान की दिशा में विवाद से विश्वास एक्ट, 2020 भी सफल साबित हुआ है।

35,000 फेसलेस असेसमेंट
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के प्रमुख पीसी मोदी ने कहा कि फेसलेस असेसमेंट स्कीम के तहत आयकर से जुड़े 35,000 मामलों का निपटान किया जा चुका है। स्कीम के तहत सीबीडीटी के समक्ष कुल मिलाकर दो लाख मामले आए थे। निपटाए गए 35,000 मामलों में से केवल 1,000 ही ऐसे केस निकले जिनमें टैक्स की राशि बढ़ानी पड़ी है। बाकी मामलों का तय प्रक्रिया के तहत समाधान निकालते हुए बंद कर दिया गया।

फेसलेस असेसमेंट स्कीम के तहत करदाता को अपने टैक्स संबंधी समस्या के समाधान के लिए आयकर दफ्तर का चक्कर नहीं लगाना पड़ता है। टैक्स गड़बड़ी पर एक केंद्रीकृत इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम मामले को चुनकर रैंडम तरीके से देश के किसी इनकम टैक्स टीम के पास भेज देती है। मामले के निपटान पर अन्य अधिकारी वर्ग नजर भी रखते हैं। इस तरह पूरी प्रक्रिया में कोई भी पक्ष एक दूसरे से नहीं मिल पाता। यह प्रक्रिया सुविधाजनक होने के साथ-साथ भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का काम करता है।