जयपुर। जयपुर-आगरा हाईवे का निर्माण करने वाली कंपनियों से घूस मांगने के आरोप में एक दिन पहले ही गिरफ्तार किए गए आईपीएस मनीष अग्रवाल पर बुधवार को है। कंपनी के प्रतिनिधि का कहना है कि मनीष ने एक मामले में एफआर लगाने के एवज में यह रिश्वत मांगी थी।
एसीबी इसका सत्यापन कर रही है। वहीं, बुधवार को मनीष अग्रवाल को एसीबी की विशेष कोर्ट-एक में पेश किया गया है। जहां से उन्हें 5 फरवरी तक पुलिस रिमांड में भेज दिया गया है। इसके अलावा आईपीएस मनीष और दलाल के पास से मिले पांच माेबाइल की एफएसएल ने जांच रिपाेर्ट एसीबी काे भेज दी है। एफएसएल ने जांच में काॅल लाॅगिंग रिकाॅर्ड रिकवर कर लिया है। कई मैसेज भी रिकवर किए हैं।
काॅल डिटेल की जांच में सामने आया है कि जिस दिन दलाल नीरज मीणा काे एसीबी ने पकड़ा था, उस दिन दाेपहर तक मनीष अग्रवाल से उसकी कई बार बातें हुई थीं। साथ ही मनीष दलाल काे मैसेज कर बुलाने की बात कह रहे हैं। एसीबी की टीम एफएसएल रिपाेर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई करेगी। मनीष के खिलाफ हाईवे बनाने वाली कंपनी के तीन प्रतिनिधि और दाे थानेदार भ्रष्टाचार की शिकायत कर चुकेे हैं। एसीबी के जांच अफसर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पुष्पेन्द्र सिंह राठाैड़ ने मनीष से पूछताछ की। इसमें मनीष ने एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया।
एसीबी की जांच में सामने आया है कि कंपनी की ओर से हाइवे निर्माण के दाैरान किसी भी जगह पर अगर विवाद की स्थिति हाे जाती और पुलिस जाब्ता भेजना पड़ता ताे इसके लिए भी मनीष अग्रवाल संबंधित कंपनी से रिश्वत मांगता था। बता दें कि मनीष पर एक कंपनी से 31 लाख घूस लेने और दूसरी से 38 लाख रु. मांगने का आरोप लगा है।
एसीबी के अधिकारी परिवादियाें काे भी बुलाने पर विचार कर रही है। इसके पीछे एसीबी अफसरों का मानना है कि परिवादी के सामने उसके आराेपाें के बारे में पूछताछ करने पर कई और क्लू भी मिल सकते हैं। साथ ही एसीबी दलाल काे भी वापस रिमांड पर ले सकती है। हालांकि, दलाल काे एसीबी 15 दिन के रिमांड पर पहले भी ले चुकी है।
दोनों एसडीएम ने वॉइस सैंपल देने से किया इंकार
एसीबी ने बुधवार को वॉयस सैंपल लेने के लिए 5 लाख घूस लेते गिरफ्तार दौसा के तत्कालीन एसडीएम पुष्कर मित्तल व 10 लाख की रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार बांदीकुई की तत्कालीन एसडीएम पिंकी मीणा को सीजेएम के कोर्ट में पेश किया। दोनों ने वॉइस सैंपल देने से मना कर दिया। ऐसे में एसीबी की टीम दोनों एसडीएम को वापस जयपुर ले गई।