मुंबई। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने बुधवार को रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के AVP घनश्याम सिंह की हिरासत में यातना के मामले में दलीलें सुनीं। NHRC इस मामले पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। वह छह जनवरी, 2021 को अपना फैसला सुनाएगी।
NHRC के समक्ष अपनी याचिका में, रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने कहा कि उन्हें 40 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ के बावजूद गिरफ्तार किया गया था। याचिका में टीआरपी बताने वाली हंसा रिसर्च एजेंसी के बयानों का हवाला दिया कि उन्हें मामले में रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क को फंसाने के लिए मजबूर किया गया था।
इस दौरान कहा गया कि एसीपी ने आरोपों से इनकार किया था। जब इस मामले में वह घनश्याम का समन कर रहे थे तब उनके पास कोई प्रतिक्रिया नहीं थी। उन्होंने खुद इस बात की पुष्टि की थी कि उन्होंने मामले में घनश्याम सिंह के बयान लिए थे।
बता दें, टीआरपी फर्जी मामले में घनश्याम को 10 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद उन्हें मुंबई की एक अदालत से 6 दिसंबर को जमानत मिल गई थी। उन्हें तलोजा सेंट्रल जेल में रखा गया था।
रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, एनएचआरसी ने डीजीपी को घनश्याम सिंह को हिरासत में यातना देने को आरोपों की जांच के लिए एक टीम गठित करने को कहा है। इस पूरे मामले में NHRC ने 4 हफ्ते में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। साथ ही घनश्याम के उत्पीड़न मामले की जांच एक IPS अफसर की निगरानी में कराने की बात कही गई है।
जेल से रिहा होने के बाद बोले AVP- हम जीत गए
तलोजा जेल से रिहा होने के बाद घनश्याम ने कहा कि “मैं ठीक हूं, मैं बहुत मजबूत हूं सर। वो कुछ जानना चाहते थे जो हमने नहीं बताया। वो मुझे राजी करना चाहते थे और चाहते थे कि हम कुछ गैरकानूनी कर दें। सच्चाई यह थी कि यह अंतिम बात थी। यह साबित करने के लिए कि हमने कुछ भी नहीं किया है। हम बहुत मजबूत हैं। हम आज जीत गए हैं।’
इनकार करता रहा तब तक पुलिस मारती रही
उनसे हिरासत में यातना के बारे में पूछे जाने पर, घनश्याम ने कहा, ‘हां, उन्होंने किया। उन्होंने मुझ पर कुछ करने के लिए दबाव डालने की कोशिश की, लेकिन मैंने कुछ नहीं किया है, मैंने दृढ़ता से इनकार किया। जब तक मैं इनकार करता रहा तब तक वो मुझे मारते रहे।’