बैंक गार्ड के बेटे युवराज ने जेईई एडवांस्ड में प्राप्त की ऑल इंडिया 476वीं रैंक

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कोटा। कॅरियर सिटी कोटा के दादाबाड़ी निवासी कान सिंह शेखावत के परिवार के लिए सोमवार का दिन खुशियों से भरा रहा, क्योंकि परिवार के बेटे युवराज सिंह शेखावत ने परिवार की विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए देश की कठिन मानी जाने वाली इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई एडवांस्ड में ऑल इंडिया 476वीं रैंक प्राप्त की। युवराज पिछले दो साल से एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट कोटा का स्टूडेंट है। युवराज के पिता कान सिंह शेखावत सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया में सुरक्षा गार्ड हैं।

परिवार मूलतः जयपुर निवासी है लेकिन अपनी नौकरी एवं बच्चों की पढ़ाई की वजह से कानसिंह पिछले 9 साल से कोटा में हैं। युवराज की बड़ी बहिन लक्ष्मी राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय से बीटेक कर रही है। युवराज ने 10वीं कक्षा 88.6 प्रतिशत एवं 12वीं कक्षा 94.6 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की है। इसके अलावा एनएसईजेएस, आरएमओ, आईएनएओ जूनियर, एनएसईपी एवं एनएसईए भी क्वालिफाइड है।

युवराज ने बताया कि मैंने आईआईटीयन बनने के सपने को साकार करने के लिए वर्ष 2018 में एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया ंथा। तब मैं 11वीं कक्षा में था। 10वीं कक्षा में ओसीएससी क्वालिफाईड करने पर एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट ने पहले वर्ष 90 प्रतिशत एवं दूसरे वर्ष 50 प्रतिशत फीस में रियायत दी। घर के आसपास शोर शराबा ज्यादा है। पढ़ाई के लिए उपयुक्त माहौल भी नहीं था। मेरी परफॉर्मेन्स व आग्रह को देखते हुए एलन संस्थान ने मुझे जवाहर नगर स्थित समुन्नत में रहने की सुविधा प्रदान की। जहां रहना-खाना पूरी तरह निशुल्क था। यहां रहने से मुझे काफी फायदा मिला। ग्रुप स्टडी से डाउट सॉल्विंग में मुझे काफी मदद मिली। हॉस्टल का माहौल ऐसा था कि सब एक दूसरे की परफॉर्मेन्स से प्रेरित होकर अपना बेस्ट देने की कोशिश करते थे।

किराए के घर में भी किराए पर कमरा
युवराज ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान हॉस्टल में रहने वाले अधिकांश स्टूडेंट्स अपने घर चले गए थे। इस वजह से अकेलापन लगने लगा था। दूसरी ओर एग्जाम आगे खिसकने से मैं शुरुआत में थोड़ा परेशान भी हुआ लेकिन एलन की फैकल्टीज ने मोटिवेट किया और इस अतिरिक्त समय का लाभ उठाने को कहा। इसके बाद मैं हॉस्टल से अपने घर लौट गया। मेरा परिवार कोटा में किराए से रहता है। जेईई की तैयारी के लिए शांत वातावरण की जरुरत होती है। इसलिए मेरी तैयारी को देखते हुए पापा ने उसी घर में तीसरी मंजिल पर स्थित एक कमरे को सिर्फ मेरे लिए किराए पर लिया। जहां मैंने लॉकडाउन के छह महीने जेईई एडवांस्ड की तैयारी की।

खर्चों में कटौती कर पढ़ाया
युवराज के पिता कानसिंह ने बताया कि मैं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हूं। इसलिए तनख्वाह ज्यादा नहीं मिलती। घर का किराया भी देता हूं लेकिन, बेटे को पढ़ाना था इसलिए खुद के खर्चों में कटौती की। उसको जो भी जरुरत होती, कैसे भी कर के पूरी करता। लोगों से कुछ पैसा उधार भी लिया।