मुंबई। लोकप्रिय गीत ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ लिखने वाले गीतकार और लेखक अभिलाष का रविवार को निधन हो गया। वो 74 वर्ष के थे। अभिलाष का जन्म 13 मार्च 1946 को दिल्ली में हुआ। उनका वास्तविक नाम ओमप्रकाश है।
दिल्ली में उनके पिता का व्यवसाय था। अभिलाष के पिता चाहते थे कि उनका बेटा उनके व्यवसाय में हाथ बटाएं लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। स्कूल के दिनों से ही अभिलाष को लिखने में रुचि थी। महज 12 साल की उम्र में उन्होंने कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं। जब वो 10वीं में पहुंचे मंच पर कार्यक्रम प्रस्तुत करने लगे। उन्होंने अपना तखल्लुस ‘अजीज’ रख लिया। ओमप्रकाश ‘अजीज’ के नाम से उनकी गजलें, नज्में और कहानियां कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं।
अभिलाष मुशायरों में हिस्सा लेने लगे। उन दिनों वो साहिर लुधियानवी को मन ही मन अपना गुरु मानने लगे थे। दिल्ली में एक मुशायरे के दौरान साहिर लुधियानवी से उनकी मुलाकात हुई। इस दौरान अभिलाष ने अपनी कुछ नज्में सुनाईं जिसे सुनकर साहिर ने कहा कि ‘ऐसा लग रहा है जैसे मैं अपनी नज्में सुन रहा हूं।’
ओमप्रकाश ‘अजीज’ जब फिल्मी दुनिया में आए तो उन्होंने अपना नाम अभिलाष रख लिया। उन्होंने 40 साल तक हिंदी सिनेमा में काम किया। ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ गीत के अलावा अभिलाष के लिखे ‘सांझ भई घर आजा’ (लता), ‘आज की रात न जा’ (लता), ‘वो जो खत मुहब्बत में’ (ऊषा), ‘तुम्हारी याद के सागर में’ (ऊषा), ‘संसार है एक नदिया’ (मुकेश), ‘तेरे बिन सूना मेरे मन का मंदिर’ (येसुदास) आदि सिने गीत भी बेहद लोकप्रिय हुए। गानों के अलावा उन्होंने कई फिल्मों में बतौर पटकथा-संवाद लेखक भी काम किया।
लेखन कार्य के लिए अभिलाष को सुर आराधना अवॉर्ड, मातो श्री अवॉर्ड, सिने गोवर्स अवॉर्ड, फिल्म गोवर्स अवॉर्ड, अभिनव शब्द शिल्पी अवॉर्ड, विक्रम उत्सव सम्मान, हिंदी सेवा सम्मान आदि से सम्मानित किया गया है।