कोटा। भारतीय किसान संघ केन्द्र सरकार की ओर से पारित किए गए कृषि उपज के व्यापार संबंधी तीनों बिलों का कुछ संशोधनों के साथ समर्थन करेगा। भारतीय किसान संघ के के संभागीय प्रवक्ता आशीष मेहता ने बताया कि किसानों को मंडी के अलावा अपनी उपज बेचेने के लिए विकल्प मिले तो किसानों को अन्ततः लाभ ही होगा।
लेकिन इसमें कुछ खामियां हैं, जिनकी ओर भारतीय किसान संघ केन्द्र सरकार और मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को अवगत करा चुका है। भारतीय किसान संघ ने महत्वपूर्ण सुझाव केन्द्र सरकार को दिए हैं। यदि केन्द्र सरकार की ओर से सुझावों पर अमल करते हुए संशोधन नहीं किए गए तो इन बिलों को नहीं माना जाएगा।
प्रवक्ता आशीष मेहता तथा जिलाध्यक्ष गिरीराज चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि ऊपज के व्यापार सम्बन्धी पारित किए गए तीनों कानूनों में खामियां है। भारतीय किसान संघ की ओर से चार सुझाव दिए गए हैं। जिसमें कहा कि सभी प्रकार की खरीद समर्थन मूल्य पर होने का कानूनी प्रावधान होना चाहिए। वहीं निजी व्यापारियों का राज्य एवं केंद्र स्तर पर पंजीयन आवश्यक हो तथा उनकी बैंक सेक्युरिटी हो। जो एक पोर्टल के द्वारा सबके लिए उपलब्ध रहे।
इस संदर्भित जो भी विवाद हों उनके समाधान हेतु स्वतंत्र कृषि न्यायालयों की व्यवस्था हो और सब विवादों का निपटारा किसान के गृह जिले में ही होना चाहिए। इसके अलावा इन कानूनों में ‘किसान’ की परिभाषा में कार्पोरेट कंपनियां भी एक किसान के रूप में आ रही हैं। उसको भी तर्कसंगत बनाकर जो केवल कृषि पर ही निर्भर हैं, वही इस परिभाषा में किसान माना जावे। यह सुधार होना चाहिए।
जिस पर तोमर ने सकारात्मक रूख रखते हुये कृषि व किसान हित में आवश्यक विचार करने का आश्वासन दिया है। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार की ओर से आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में सुधार कानून, कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून लोकसभा से पास किए जा चुके हैं।