नई दिल्ली। सरकार ने पूरे देश में नए वाहनों के पंजीकरण से पहले और राष्ट्रीय परमिट वाले वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करते वक्त फास्टैग (FASTag) विवरण लेने का फैसला किया है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एनआईसी से नए वाहनों के पंजीकरण से पहले और राष्ट्रीय परमिट वाले वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करते वक्त फास्टैग (FASTag) विवरण लेना सुनिश्चित करने के लिए कहा है।
मंत्रालय ने एनआईसी को लिखे एक पत्र में कहा है कि वाहन (वीएएचएएन) पोर्टल के साथ राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (एनईटीसी) को पूरी तरह जोड़ दिया गया है और यह 14 मई को एपीआई के साथ लाइव हुआ है। वाहन प्रणाली अब वीआईएन/ वीआरएन के माध्यम से फास्टैग पर सभी जानकारी हासिल कर रही है। इस पत्र की कॉपी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजी गई है।
क्यों जरूरी है फास्टैग
इस प्रकार, मंत्रालय ने नए वाहनों का पंजीकरण करते वक्त और राष्ट्रीय परमिट के तहत चलने वाले वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करते समय भी फास्टैग विवरण लेना सुनिश्चित करने को कहा है। एम और एन श्रेणी के वाहनों की बिक्री के समय नए वाहनों में फास्टैग लगाना 2017 में अनिवार्य कर दिया गया था। लेकिन बैंक खाते के साथ जोड़ने या उन्हें सक्रिय किए जाने से नागरिक बच रहे थे जिसकी अब जांच की जाएगी।
फास्टैग लगाने का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क प्लाजा को पार करने वाले वाहन फास्टैग भुगतान के इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का उपयोग करें और नकद भुगतान से बचें। फास्टैग का यह उपयोग और प्रचार राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क प्लाजा पर कोविड के प्रसार की संभावनाओं को कम करने में भी प्रभावी होगा। इस योजना पर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने नवंबर, 2017 में राजपत्र अधिसूचना जारी की थी। मई 2020 की शुरुआत तक देश भर में कुल 1.68 करोड़ FASTags जारी किए गए हैं।