एलोपेथिक दवा माफिया ने बढ़ाई बाबा रामदेव की मुश्किलें

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जयपुर। कोरोना वायरस की दवा का ऐलान कर दुनियाभर में हलचल मचाने वाले योग गुरु बाबा रामदेव की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। राजस्थान में ऐसी किसी दवा के क्लिनिकल ट्रायल को सिरे से खारिज करने वाले चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा के बाद अब निम्स यूनिवर्सिटी के मालिक और चेयरमैन बीएस तोमर भी एलोपेथिक दवा माफिया के दबाव में पलट गए हैं।उन्होंने गुरुवार को दिए अपने बयान में साफ कहा कि उनके अस्पतालों में कोरोना की दवा का कोई क्लिनिकल ट्रायल नहीं हुआ है।

तोमर का यह बयान गुरुवार को उनके खिलाफ जयपुर के गांधीनगर थाने में दर्ज केस के बाद आया है। कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज की दवा के दावे को लेकर पंतजलि आयुर्वेद हरिद्वार और निम्स यूनिवर्सिटी के मालिक तोमर के खिलाफ यहां दर्ज केस में कोरोना वायरस के इलाज के नाम पर जनता को गुमराह करने के आरोप लगाए गए थे। इससे पहले राजस्थान के चिकित्सा मंत्री डॉ. शर्मा कोरोना की दवा के नाम पर लोगों गुमराह करने की बात कहते हुए बाबा रामदेव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात भी कह चुके हैं।

इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में प्रयोग
उधर, बीएस तोमर ने अपने बयान में कहा है कि, ‘हमने अपने अस्पतालों में कोरोना की दवा का कोई भी क्लिनिकल ट्रायल नहीं किया’। उन्होंने बताया कि हमने इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी का प्रयोग मरीजों पर किया था। उन्होंने यह भी कहा कि, ‘मैं नहीं जानता कि योग गुरु रामदेव ने इसे कोरोना का शत प्रतिशत इलाज करने वाला कैसे बताया?’।

2 दिन में उन्होंने दवा कैसे बनाई?
तोमर की निम्स यूनिवर्सिटी की ओर से सीटीआरआई से औषधियों के ईम्यूनिटी टेस्टिंग के लिए 20 मई को परमिशन ली गई थी। दो दिन बाद ही यानी 23 मई से ही ट्रायल शुरू कर दिया गया। एक महीने तक चले इस ट्रायल के बाद ही 23 जून को योग गुरु रामदेव के साथ मिलकर कोरोना की दवा का ऐलान कर दिया गया। तोमर का अब कहना है कि हमारे ट्रायल की फाइंडिंग को आए अभी 2 ही दिन हुए थे कि योग गुरु रामदेव ने दवा बनाने का दावा कर दिया। उन्होंने कहा कि यह तो वो ही बता सकते हैं कि दो दिन में उन्होंने दवा कैसे बनाई है। मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है।

क्लिनिकल ट्रायल’ करके आम जन को गुमराह
जयपुर में गुरुवार को चिकितसा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने फिर कहा है कि भारत सरकार द्वारा ‘ड्रग्स एण्ड कॉस्मेटिक एक्ट’ के तहत 21 अप्रैल, 2020 को जारी गजट अधिसूचना के अनुसार केन्द्रीय आयुष मंत्रालय की स्वीकृति के बिना किसी दवा का ट्रायल नहीं किया जा सकता। राज्य सरकार की अनुमति के बिना किसी दवा का मानवीय परीक्षण भी नहीं किया जा सकता। बिना अनुमति के ‘क्लिनिकल ट्रायल’ करके आमजन को गुमराह करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी।