ऐसे पेशेवरों को पहचानने के लिए सबसे पहले उनके बैंक खातों और लेनदेन के ब्योरे को जोड़ा गया है।
मुंबई। आयकर विभाग ने बड़ी कंपनियों से उन कर्मचारियों का ब्योरा मांगा है, जो सीधे उनके कर्मचारी नहीं हैं यानी ठेके पर काम कर रहे हैं।
विभाग यह जांचना चाहता है कि ये कर्मचारी स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) के बाद कर रिटर्न दाखिल कर रहे हैं या नहीं। विभाग ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों से भी यह ब्योरा तलब किया है।
आयकर अधिकारियों के मुताबिक कई बार देखा गया है कि वकील, सीए, सलाहकार, डिजाइनर जैसे पेशेवर सीधे कंपनी के कर्मचारी नहीं होते हैं और आयकर रिटर्न भी दाखिल नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि रिटर्न भरने पर उन्हें पूरी आय बतानी होगी।
सरकार करदाताओं की संख्या में इजाफा चाहती है और आयकर विभाग उन लोगों पर शिकंजा कसना चाहता है, जिन पर कर चोरी का खटका है। इस वर्ष आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई है। ऐसे पेशेवरों को पहचानने के लिए सबसे पहले उनके बैंक खातों और लेनदेन के ब्योरे को जोड़ा गया है।
कर विभाग ने संभावित कर देनदारी वाले करीब 1.37 करोड़ लोगों को छांटा है, जो रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं। इनमें अलग-अलग कर दायरों में आने वाले और ठेके पर काम करने वाले ऐसे हजारों लोग शामिल हैं, जो रिटर्न दाखिल नहीं करते। कई लोग ऐसे हैं, जो नियमित रूप से रिटर्न नहीं भरते।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के एक वरिष्ठï अधिकारी ने बताया, ‘कर चोरों पर नकेल कसने की यह पहल कर विभाग के ‘ऑपरेशन क्लीन मनी’ का हिस्सा है। इसके तहत ऐसे लोगों को कर देनदारी की जद में लाने के उपाय हो रहे हैं, जिन्होंने नोटबंदी के बाद अघोषित नकदी और जमा रकम का खुलासा किया है।’
सूत्रों ने कहा कि सीबीडीटी ने चालू वित्त वर्ष में 1 करोड़ करदाताओं को जोडऩे का लक्ष्य रखा है। कर विभाग की मुस्तैदी पर खेतान ऐंड कंपनी के संजय सांघवी कहते हैं, ‘करदाताओं की संख्या में इजाफा करने की कर विभाग की मुहिम समझी जा सकती है और इसके लिए टीडीएस का पता लगाना महत्त्वपूर्ण है।