नई दिल्ली। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप व मर्डर केस के एक दोषी विनय शर्मा की याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उसने खुद को मानसिक रोगी बताते हुए मेडिकल ट्रीटमेंट की मांग की थी। उल्लेखनीय है कि इस मामले में अब तीसीर बार डेथ वॉरंट जारी किया जा चुका है और उसके मुताबिक तीनों को 3 मार्च की सुबह 6 बजे फांसी दी जानी है लेकिन दोषियों को बचाव के लिए जुगाड़ जारी है।
कभी दोषी खुद को मानसिक रोगी बताते हैं, तो कभी यह तर्क देते हैं कि वह घटना के वक्त नाबालिग थे, तो कभी राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाते हैं। इसी क्रम में दोषी विनय शर्मा खुद को सिजोफ्रेनिया का मरीज बताकर कोर्ट पहुंच गया था।
फांसी से पहले अवसाद स्वाभाविक
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘फांसी से पहले दोषियों को घबराहट और अवसाद होना स्वाभाविक है। इस बात के सबूत मौजूद हैं कि इस केस में उपयुक्त मेडिकल ट्रीटमेंट और मनोवैज्ञानिक मदद दोषी को दिलाई गई है।’ वहीं, कोर्ट के फैसले के बाद निर्भया की मां आशादेवी ने कहा, ‘यह फांसी को टालने का एक तरीका था। दोषी कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं। उनके लगभग सभी कानूनी उपाय खत्म हो चुके हैं और मुझे उम्मीद है कि उन्हें 3 मार्च को फांसी हो जाएगी।’
विनय का दावा तोड़े मरोड़े तथ्यों का पुलिंदा
मामले में सुनवाई के दौरान तिहाड़ प्रशासन ने शनिवार को दलील दी कि विनय का दावा ‘तोड़े मरोड़े गए तथ्यों का पुलिंदा’ है। जेल के अधिकारियों ने शनिवार को अडिशनल सेशन जज धर्मेंद्र राणा को बताया कि सीसीटीवी फुटेज से साबित हुआ है कि दोषी विनय कुमार शर्मा ने चेहरे को खुद ही जख्मी कर लिया और वह किसी मनोवैज्ञानिक विकार से ग्रस्त नहीं है ।
जेल प्रशासन की ओर से पेश वकील ने कहा, ‘ये सभी (दोषी के दावे) तोड़े मरोड़े गए तथ्यों का पुलिंदा है। डॉक्टर ने उसकी जांच की थी और जख्म के निशान मिले थे। उन्होंने उसे दवा दी। सभी जख्म उसने खुद ही बनाए हैं और ये दिखावटी हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मेडिकल रिकार्ड कहते हैं कि वह किसी तरह की भी मानसिक बीमारी से ग्रस्त नहीं है और किसी अस्पताल में उसकी जांच कराने की कोई जरूरत नहीं है। जेल के डॉक्टर नियमित तौर पर उसकी जांच कर रहे हैं।’
किसी को नहीं पहचानता तो मां से कैसे होती है बात
जेल की तरफ से पेश मनोचिकित्सक ने कहा कि नियमित रूप से चारों दोषियों की मेडिकल जांच की गई और सभी ठीक हैं । वकील ने कहा, ‘वह अपनी मां और वकील से बात करता है। इसलिए यह कहना गलत होगा कि वह किसी को पहचान नहीं रहा है।’ बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि दोषी के हाथ पर प्लास्टर है।
यह दिखाता है कि वह चोटिल है और उसने खुद से जख्म नहीं बनाए हैं। दोषी की ओर से पेश वकील एपी सिंह ने कहा, ‘जेल उसके बारे में अदालत में तथ्य क्यों छिपा रहा है ? दस्तावेज क्यों नहीं दाखिल किए जा रहे हैं।’दोषी के वकील की दलील पर तिहाड़ के अधिकारियों ने कहा कि यह कहना गलत होगा कि उसकी बांह पर प्लास्टर है। बांह टूटी हुई नहीं है। उसके हाथ पर बस एक पट्टी है।