नई दिल्ली। प्रमोशन में आरक्षण का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष ही नहीं, एनडीए के सहयोगी दलों ने भी केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। वहीं, सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार इस मामले में कोई हड़बड़ी दिखाने के मूड में नहीं है। आज यह मुद्दा संसद में भी उठाया जा सकता है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध करेंगे।
एनडीए की सहयोगी एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला एससी, एसटी और ओबीसी को आरक्षण के अधिकार से वंचित करता है। सूत्रों के अनुसार एलजेपी इस मामले को संसद में भी उठाएगी। 12 फरवरी को पार्टी अपने दलित सांसदों के साथ इस मुद्दे पर मीटिंग करने वाली है। वहीं, जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि पार्टी शुरू से न्यायपालिका में भी आरक्षण की वकालत करती रही है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा पार्टी प्राइवेट कंपनियों में भी आरक्षण की पक्षधर है। पार्टी इसके लिए केंद्र सरकार से पहल की बात करेगी। उधर, अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल ने भी कहा कि ओबीसी और एससी-एसटी को प्रमोशन में भी आरक्षण मिलना चाहिए। सरकार इसके लिए कोई पहल करे तो वह इसका स्वागत करेगी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
दरअसल, यह विवाद सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद शुरू हुआ है जिसमें उत्तराखंड हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें राज्य सरकार से कहा गया था कि वह प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए डेटा जुटाए। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से यह पता करने को कहा था कि एससी-एसटी कैटिगरी के लोगों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं, जिससे प्रमोशन में रिजर्वेशन दिया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को रिजर्वेशन देने के लिए निर्देश जारी नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है। एससी-एसटी कैटिगरी में प्रमोशन में आरक्षण देने का निर्देश हाई कोर्ट ने जारी किया था।