नई दिल्ली। देश में गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स(GST) रेट्स में नपे-तुले ढंग से बढ़ोतरी की जा सकती है ताकि अचानक प्राइस बढ़ने का झटका कन्ज्यूमर्स को न लगे। इसके अलावा जीएसटी के तहत एग्जेम्पशंस का दायरा घटाया जा सकता है। सरकार ये उपाय रेवेन्यू कलेक्शन बढ़ाने के लिए कर सकती है।
अधिकारियों की एक समिति मौजूदा जीएसटी रेट स्ट्रक्चर की समीक्षा कर रही है। यह राय बन रही है कि रेट में धीरे-धीरे और कम मात्रा में बढ़ोतरी की जाए। इसके लिए या तो निचली दरों में छोटी बढ़ोतरी की जा सकती है या कुछ आइटम्स को चरणबद्ध ढंग से ऊपरी ब्रैकेट में डाला जा सकता है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘स्ट्रक्चर पर दोबारा विचार करने की जरूरत है। हां, बदलाव करने का तरीका एक अलग मसला है। एक विकल्प यह है कि अचानक झटका लगने से बचाने के लिए नपे-तुले ढंग से बदलाव किया जा सकता है।’ करीब 150 आइटम्स जीएसटी की एग्जेम्पशन लिस्ट में हैं। इनमें से कुछ को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार किया जा सकता है। अभी 260 से ज्यादा आइटम्स पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगता है।
अधिकारी ने कहा कि प्रोसेस्ड आइटम्स को सबसे निचले स्लैब या छूट वाली कैटिगरी में नहीं रखा जा सकता है क्योंकि इससे इनपुट टैक्स क्रेडिट से जुड़ी समस्या पैदा होती है। समिति में केंद्र और राज्यों के अधिकारी हैं। यह समिति रेवेन्यू बढ़ाने के उपायों पर विचार कर रही है। जीएसटी कलेक्शन इस वित्त वर्ष में अब तक औसतन 1,00,646 करोड़ रुपये पर रहा है, जो बजट टारगेट हासिल करने के लिहाज से करीब 1.12 लाख करोड़ रुपये महीना कम है।
समिति के सुझावों पर जीएसटी काउंसिल अगली मीटिंग में विचार कर सकती है जो इस टैक्स के मामले में निर्णय करने की शीर्ष इकाई है। जीएसटी काउंसिल सेक्रटेरिएट ने राज्यों से 27 नवंबर को कहा था कि वे रेवेन्यू बढ़ाने के उपाय बताएं। उनसे रेट्स में बदलाव करने और छूट वाले आइटम्स की संख्या कम करने के बारे में भी सुझाव मांगे गए थे।
अधिकारियों का समूह वस्तुओं और सेवाओं, दोनों के मामले में छूट वाले आइटम्स को घटाने के तरीके पर विचार कर रहा है। वह जीएसटी के सिंगल रेट पर भी विचार कर रहा है जिससे टैक्स का कोई लॉस न हो। पहली जुलाई 2017 को जीएसटी लागू किए जाते समय अनुमान दिया गया था कि 15.5 प्रतिशत की दर रेवेन्यू न्यूट्रल होगी।