नई दिल्ली। भारतीय बैंकों को 2018-19 में फ्रॉड के जरिये 71,543 करोड़ रुपये का चूना लगा है। पिछले वित्त वर्ष में 41,516 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी सामने आई थी। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष फ्रॉड के मामलों में 74 फीसद की वृद्धि हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक ने यह जानकारी दी है। बैंकों ने 2018-19 में 6,801 फ्रॉड के मामलों की जानकारी दी, जो कि 2017-18 में 5,916 थी।
इस मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आगे हैं। रिजर्व बैंक की ‘बैंकों में प्रवृत्ति और प्रगति-2018-19’ रिपोर्ट के अनुसार 2018-19 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी के मामले में अधिक रहे। धोखाधड़ी के कुल मामलों में 55.4 फीसद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से जुड़े थे। वहीं राशि के मामले में यह 90.2 फीसद है। यह सरकारी बैंकों में परिचालन जोखिमों से निपटने में आंतरिक प्रक्रियाओं, लोगों और प्रणाली में खामियों को बताता है।
गौरतलब है कि सरकार ने फरवरी में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में धोखाधड़ी का समय पर पता लगाना, उसकी सूचना देना तथा जांच को लेकर रूपरेखा जारी किया था। इसके तहत बैंकों को 50 करोड़ रुपये से अधिक के गैर-निष्पादित खातों में धोखाधड़ी की आशंकाओं का आकलन करने की आवश्यकता है ताकि धोखाधड़ी वाले लेन-देन का खुलासा समय पर हो सके।