नई दिल्ली। कॉन्फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने अमेजन और फ्लिपकार्ट सहित उन सभी ई -वाणिज्य कंपनियों के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी अभियान की घोषणा की है जो भारत सरकार की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति का उल्लंघन करते हुए देश के खुदरा व्यापार को तहस नहस करने में लगे हैं।
कैट की यहां जारी विज्ञप्ति में यह कहा गया है। कैट का आरोप है कि ई- वाणिज्य कंपनियां देश के 7 करोड़ व्यापारियों के व्यापार को तबाह करने में जुटी हैं। कैट ने इस मुद्दे को देश के व्यापारियों के व्यापार के लिए बेहद घातक बताते हुए अब सड़क पर उतरने का मोर्चा भी खोल दिया है।
कैट ने हालांकि, इस मुद्दे पर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पहले ही इन कंपनियों के खिलाफ शिकायतों का पुलिंदा दे रखा है जिसको लेकर वाणिज्य मंत्रालय ने अमेजन एवं फ्लिपकार्ट से जवाब तलब किया है। कैट ने राजस्थान उच्च न्यायालय की जोधपुर बेंच में भी इस मुद्दे पर एक याचिका दायर की है।
25 नवम्बर को 500 से अधिक जिलों में प्रदर्शन
कैट का आरोप है कि अमेजन एवं फ्लिपकार्ट पहले की तरह अपने पोर्टल पर लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, उत्पादों पर भारी छूट देना, पोर्टल पर होने वाली बिक्री को नियंत्रित करना, अपनी पसंद के विक्रेताओं को अपने पोर्टल पर ज्यादा आर्डर देना और बाज़ार में कीमतों को प्रभावित करने की कार्रवाई में लिप्त हैं।
उल्लेखनीय है कि वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले महीने कहा था कि सरकार इन कंपनियों की कथित बाजार बिगाडू मूल्य निर्धारण पर गौर कर रही हे। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने अमेजन और फ्लिपकार्ट के रवैए की कड़ी आलोचना करते हुए कहा की कैट इस मुद्दे पर शीघ्र ही एक राष्ट्रीय आंदोलन शुरू करेगा। आंदोलन की रूपरेखा तय करने के लिए आगामी 10 नवम्बर को दिल्ली में कैट की राष्ट्रीय गवर्निंग काउंसिल की आपात बैठक बुलाई गई है।
भरतिया एवं खंडेलवाल ने आंदोलन के विभिन्न चरणों की जानकारी देते हुए बताया की 13 नवम्बर को कैट के व्यापारी प्रतिनिधिमंडल देश भर में लोकसभा और राज्य सभा के सभी सांसदों को ज्ञापन देंगे। 20 नवम्बर को देश के सभी राज्यों में लगभग 200 शहरों में धरने आयोजित किए जाएंगे। 25 नवम्बर को देश के 500 से अधिक जिलों में व्यापारी मार्च निकाले जाएंगे और ज़िला कलेक्टर को प्रधानमंत्री के नाम के ज्ञापन दिए जाएंगे । इन कम्पनियों के अनैतिक व्यापार के खिलाफ देश के लगभग एक हज़ार से अधिक शहरों में विरोध मार्च निकाले जाएंगे।