नई दिल्ली। चाहे मदर डेयरी हो या अमूल किसी भी बड़े ब्रांड के दूध भी स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित नहीं हैं। कच्चा ही नहीं, बल्कि बड़े ब्रांडों के प्रसंस्कृत दूध भी गुणवत्ता और सुरक्षा के निर्धारित मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं। यह बात भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के एक अध्ययन में कही गई है। एफएसएसएआई देश खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता तय करने वाली सबसे बड़ा नियामक है।
शुक्रवार को अध्ययन की रिपोर्ट जारी करते हुए एफएसएसएआई के सीईओ पवन अग्रवाल ने कहा कि दूध में मिलावट की समस्या तो है ही, लेकिन उससे भी गंभीर मुद्दा दूध के प्रदूषित होने का है। नियामक के अध्ययन में कहा कि दूध में एफ्लाटोक्सिन-एम1, एंटीबायोटिक्स और कीटनाशक जैसे पदार्थ पाए गए हैं और ये प्रसंस्कृत दूध में अधिक पाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि नियामक ने संगठित डेयरी उद्योग को गुणवत्ता मानकों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है। नियामक ने संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में एक जनवरी 2020 तक टेस्टिंग और निरीक्षण प्रणाली स्थापित करने का निर्देश भी दिया।
अध्ययन में दूध के 6,432 नमूने इकट्ठा किए गए। मई और अक्टूबर 2018 के बीच ये नमूने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 1,103 छोटे और बड़े शहरों से जुटाए गए थे। ये नमूने संगठित और असंगठित दोनों सेक्टरों से लिए गए थे।