नई दिल्ली। ई-सिगरेट पर प्रतिबंध को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट ने इस बैन को मंजूरी दी है। आपको बता दें कि हेल्थ मिनिस्ट्री ने इस पर प्रतिबंध की वकालत की थी। वित्त मंत्री ने कहा कि इसकी बिक्री और मैन्युफैक्चरिंग दोनों पर पाबंदी है। कानून तोड़ने वाले को कड़ी सजा होगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन्हें ड्रग्स मानते हुए और सेहत पर इनके खतरनाक असर को देखते हुए बैन करने का फैसला लिया था। बता दें कि बैटरी ऑपरेटिड सिगरेट को बैन करने का प्रस्ताव नरेंद्र मोदी सरकार के ‘शुरुआती 100 दिनों के एजेंडे’ में शामिल है। ई-सिगरेट जिसे Electronic nicotine delivery system (ENDS) कहा जाता है, धूम्रपान करने वालों के बीच काफी लोकप्रिय है।
देश में मौजूद 460 ब्रांड
ई-सिगरेट्स दरअसल गैर-लाइसेंस वाले प्रोडक्ट्स हैं, जो अवैध रूप से भारत में घुस आए हैं। इसे एक ऐसे प्रोडक्ट के रूप में बेचा जाता है जो लोगों को स्मोकिंग छोड़ने में मदद करते हैं। यही वजह है कि युवाओं के बीच ई-सिगरेट का चलन तेजी से बढ़ रहा है। यह डिवाइस तंबाकू को नहीं जलाती है, बल्कि लिक्विड निकोटीन सॉल्यूशन से धुआं उड़ाने के लिए हीटिंग डिवाइस का इस्तेमाल करती है। इस धुएं को सिगरेट पीने वाला सांस के साथ अंदर लेता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में ई-सिगरेट के 460 ब्रांड मौजूद हैं, जिसमें 7,700 से भी ज्यादा फ्लेवर की ई-सिगरेट मिलती हैं।
ड्रग्स की श्रेणी में आती है ई-सिगरेट
1 जून को हुई ड्रग कंसल्टेटिव कमेटी मीटिंग में एक्स्पर्ट्स ने इस बात की पुष्टि की कि ई-सिगरेट और ऐसी अन्य कई डिवाइस को Drug and Cosmetics Act, 1940 (DCA) के सेक्शन 3(b) के तहत ड्रग माना जाएगा। लिहाजा DCA के सेक्शन 26(A) के तहत उन्हें बैन किया जाना चाहिए। ENDS के तहत ई-सिगरेट, हीट-नॉट बर्न डिवाइस, वेप, ई-शीशा, ई-निकोटीन, फ्लेवर्ड हुक्का और ऐसे अन्य प्रोडक्ट्स आते हैं।
अधिकतर राज्यों ने बैन करने का दिया निर्देश
कर्नाटक, केरल, मिजोरम, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश और बिहार ने ई-सिगरेट के उत्पादन, डिस्ट्रिब्यूशन और बिक्री को बैन करने का आदेश जारी किया है। हरियाणा ने भी नोटिफाई किया है कि निकाेटीन अपने असल रूप में जहर है।