घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार खाद्य तेल आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगाएगी

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नई दिल्ली। जल्द ही भारत सरकार खाद्य तेलों के आयात पर अतिरिक्त पांच फीसदी का शुल्क बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इस शुल्क से होने वाली आय को देश में ऑयलसीड प्रोडक्शन बढ़ाने पर खर्च किया जाएगा। देश में पाम ऑयल व सोयाबीन ऑयल समेत खाद्य तेलों की खपत पिछले 20 साल में तीन गुना बढ़ गई है। जबकि इनके घरेलू उत्पादन में एक तिहाई से भी कम वृद्धि हुई है।

एजेंसी की खबरों के मुताबिक, सरकार इन तेलों के आयात पर पांच फीसदी सरचार्ज लगाकर ऑयलसीड फंड बनाने की योजना पर काम कर रही है। इस फंड को देश के किसानों को दिया जाएगा, जिससे वे ऑयलसीड का उत्पादन बढ़ा सकें। भारत इस समय दुनिया में खाद्य तेल का सबसे बड़ा आयातक है और सालाना तकरीबन 10 अरब डॉलर का खाद्य तेल खरीदता है। क्रूड ऑयल और सोने के बाद खाद्य तेल ही देश का सबसे बड़ा आयात है।

रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकता है खाद्य तेल का आयात
देश के कुल खाद्य तेल आयात में दो-तिहाई हिस्सेदारी पाम ऑयल की है। फिलहाल कच्चे पाम तेल पर भारत ने 40 फीसदी आयात शुल्क और रिफाइंड पाम ऑयल पर 50 फीसदी आयात लगा रखा है। भारत इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम ऑयल खरीदता है, लातिन अमेरिका से सोय तेल और ब्लैक सी नेशंस से सनफ्लावर ऑयल आयात करता है।

जून व जुलाई में हुई कम बारिश के चलते इस साल सोयाबीन और मूंगफली के तेल की पैदावार गिरने की आशंका है। ऐसे में 2019-20 में देश में खाद्य तेल का आयात 7.3 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ सकता है। यही वजह है कि सरकार इंपोर्ट ड्यूटी में इजाफा करके घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है।