कोटा। प्रवचन करते हुए सुयोग्यनंदिनी माताजी ने बुधवार को कहा कि व्यक्ति के जीवन में पदार्थ की उपयोगिता होती है। उपयोग करना एक बात है, लेकिन व्यक्ति पदार्थ के प्रति आसक्ति की भावना न रखें। मोह व आसक्ति दु:ख का कारण होती है। व्यक्ति कामनाओं को सीमित रखने का प्रयास करें। कोई विषय भोग न भोगे परन्तु मन में भोग की कामना रखे तो वह भी दुर्गति का कारण बनती है।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति धर्म की साधना द्वारा आसक्ति कम करने का प्रयास करें। इस संसार में जिस वस्तु का संयोग होता है उसका वियोग भी होता है। दोनों स्थितियों में समत्वभाव रखें । प्रवचन से पूर्व आर्यिका सौम्यनंदिनी माताजी पावन वर्षायोग की पत्रिका का विमोचन आर्यिका संघ और सकल दिगंबर जैन समाज के पदाधिकारियों के द्वारा किया गया। साथ ही माताजी का अवतरण दिवस भी मनाया गया।
अध्यक्ष नवीन दौराया तथा मंत्री पारस जैन ने बताया कि आर्यिका श्री 105 सौम्यनंदिनी माताजी ससंघ के चातुर्मास सम्बंधी कार्यक्रमों की सूचना देने के लिए चातुर्मास पत्रिका तैयार की गई है।
इस अवसर पर चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन, शास्त्र भेंट रमेशचंद दौराया, चिंतामणी जैन, नवीन जैन, रिन्कू जैन, अनिल दौराया, मोनिका दौराया परिवार (रानपुर वाले) तथा कविता टोंगया, डॉ.अमित कुमार, डॉ. ऋतु टोंग्या परिवार के द्वारा किया गया।