क्षमा धारण करने से होती है स्वयं की जीत: आर्यिका सौम्यनन्दिनी

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कोटा। महावीर नगर विस्तार योजना दिगम्बर जैन मंदिर में चल रहे आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी ससंघ के पावन वर्षायोग के दौरान प्रवचन करते हुए माताजी ने कहा कि वर्तमान में खान पान के प्रभाव से क्रोध में लगातार वृद्धि हो रही है और सम्पूर्ण कलह, विवाद, वैमनस्यता, मनमुटाव का प्रमुख कारण क्रोध ही है।

क्रोध पर नियंत्रण करना अति आवश्यक ही नही शान्ति पूर्ण जीवनयापन के लिए बहुत जरूरी भी है। उन्होंने कहा कि कुछ समय का तूफान सब कुछ तहस-नहस कर देता है। जबकि, अधिकतर समय शांति ही रहती है। इसी प्रकार कुछ समय का क्रोध सम्पूर्ण जीवन को नष्ट कर देता है।

क्रोध को पाप का मूल भी कहा गया है। माताजी ने कहा कि ‘क्षमा’ मात्र दो अक्षर हैं। मान का क्षय करने से क्षमा का गुण प्रकट होता है। क्षमा का गुण प्रकट हो जाने से समस्त अवगुण नष्ट हो जाते हैं। क्षमा भाव को धारण करने एवं शांत रहने से स्वयं की जीत होती है।