चिकित्सकों ने NMC बिल की प्रतियां जलाई, किया सांकेतिक प्रदर्शन

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कोटा। इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से इण्डियन मेडिकल कौंसिल बिल के विरोध में मैत्री अस्पताल के सामने सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किया। लोकसभा में प्रस्तावित एनएमसी बिल की काॅपियां जलाकर विरोध दर्ज कराया। अध्यक्ष डाॅ. एस सान्याल तथा डाॅ. केके डंग ने कहा कि इस बिल में सबसे ज्यादा नुकसान आम जनता को होगा।

उन्होंने बताया कि बिल के सेक्शन 32 के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाता का प्रावधान एनएमसी को यह अधिकार होगा। वह उन लोगों का सीमित संख्या में लाईसेंस जारी करेगा, जो, आधुनिक चिकित्सा पद्धति में प्रशिक्षित नहीं हैं। लेकिन, वो गांवों में गरीब व जरूरतमंद लोगों का आधुनिक चिकित्सा पद्धति की दवाइयों से उपचार करेंगे । सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाता स्वयं के स्तर पर उपचार हेतु आधुनिक दवाइयां लिख सकेंगे और ’ज्यादा स्थिति खराब होने पर मेडिकल डॉक्टर को रेफर करेंगे।

पूरे भारत वर्ष में संचालित 506 मेडिकल कॉलेज में से 279 निजी क्षेत्र से हैं। एनएमसी बिल के अनुसार अब 50 प्रतिशत सीटों पर फीस का निर्धारण निजी मेडिकल कॉलेज अपने स्तर पर कर सकेंगे। इससे गरीब व मेरिट में आने वाले छात्रों के स्थान पर धनवान व्यक्ति इन सीटों को खरीद कर अपने बच्चों को चिकित्सक बना सकेंगे। इस नियम से प्रतिवर्ष 18000 सीट योग्य विद्यार्थियों को नहीं मिल सकेगी। ऐसे में, जो चिकित्सक बनकर निकलेंगे वो भी केवल धन अर्जित करने का प्रयास करेंगे।

उन्होंने कहा कि जो मेडिकल छात्र अंतिम वर्ष की एमबीबीएस परीक्षा देंगे। वो पूरे भारत में एक समान होगी। जो एक्जिट टेस्ट के नाम से होगी। अंतिम एमबीबीएस परीक्षा (एग्जिट एग्जाम) केवल एक बार ही दे सकते हैं । पीजी में दोबारा एडमिशन का अवसर नहीं है। इसको पास करने पर ही मेडिकल ग्रेजुएट प्रैक्टिस कर सकेगा एवं पीजी में एडमिशन मिल सकेगा।

मेडिकल शिक्षा के छात्रों के पाठ्यक्रम में होम्योेपेथी, आयुर्वेदिक को पढ़ाने का प्रावधान किया जा रहा है। इससे सभी पैथी का सम्मिश्रण हो जाएगा और आधुनिक चिकित्सा पद्धति का महत्व खत्म हो जाएगा। प्रदर्शन में डाॅ. एमएल अग्रवाल, डाॅ. उमेश ठाकर, डाॅ. संजय जायसवाल, डाॅ. अमित गोयल, अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सा संघ के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. दुर्गाशंकर सैनी, सचिव रिछपाल खींचड़, मेडिकल छात्र संघ अध्यक्ष शिवांगी बोहरा समेत मेडिकल छात्र छात्राओं ने भाग लिया।