नई दिल्ली। यदि आप शेयरों की खरीद फरोख्त बार-बार करते हैं तो आपको इस साल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (ITR) करने में दिक्कत आ सकती है। वजह है वित्त वर्ष 2018-19 में आपको हुआ लांग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी)। आईटीआर फार्म में इसकी जानकारी आपको देनी होगी।
इसके लिए आईटीआर फॉर्म में अलग-अलग ट्रांजेक्शन की जगह केवल एक कंसोलिडेटेड फिगर बतानी है जिसमें गलती होने की गुंजाइश है। आयकर विभाग की इस चूक को विशेषज्ञों ने पकड़ा है। उन्होंने सलाह दी है कि रिटर्न भरने में जल्दबाजी न करें। संभवत: आयकर विभाग आईटीआर फार्म में सुधार कर देगा जिसके बाद आप रिटर्न दाखिल करेंगे तो गलती नहीं होगी।
शेयर की एलटीसीजी की गणना करना मुश्किल
रियल एस्टेट, गोल्ड और डेट इंवेस्टमेंट जैसे अन्य एसेट के उलट शेयरों में निवेश पर एलटीसीजी कैलकुलेट करना थोड़ा जटिल है। इसके पीछे कारण ग्रैंडफादरिंग का क्लॉज है। सभी ट्रांजेक्शन के कुल मूल्य को मिलाकर उसे फाइल करने में गलती होने की आशंका रहती है। इक्विटी पर STCG (शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेंस) समेत सभी अन्य एसेट के लिए आईटीआर फॉर्म अपने आप कैपिटल गेंस कैलकुलेट कर देता है। जै
से ही खरीदने और बेचने का मूल्य डाला जाता है अपने आप यह आंकड़ा निकल आता है। जबकि शेयरों पर एलटीसीजी के मामले में खरीद मूल्य निकालने की जरूरत पड़ती है। इसे शेयर के उचित बाजार मूल्य (FMV) और असली खरीद मूल्य के बाद कैपिटल गेंस के आधार पर निकाला जाता है। उस मामले में कोई समस्या नहीं होगी अगर केवल एक शेयर बेचा गया है। कारण है कि तब वैल्यू दर्ज करते ही कैपिटल गेंस का ब्योरा आ जाएगा। लेकिन, कई शेयर बेचे हैं तो हर एक शेयर का FMV और बिक्री मूल्य अलग-अलग होगा।
गलती की वजह गणना का तरीका
चार्टर्ड अकाउंटेंट हरिगोपाल पाटीदार कहते हैं ऐसे मामले में जहां एफएमवी कुछ शेयरों के खरीद मूल्य से ज्यादा है, जबकि अन्य शेयर के खरीद मूल्य से कम है, तो समेकित आंकड़े कैलकुलेशन में गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। यह गड़बड़ी केवल इक्विटी पर एलटीसीजी फाइल करने के लिए बने सेक्शन में है।
इक्विटी निवेश पर एसटीसीजी के लिए कोई व्यक्ति हर एक ट्रांजेक्शन का अलग-अलग विवरण दर्ज कर सकता है। यही बात प्रॉपर्टी पर एसटीसीजी और एलटीसीजी के मामले में भी लागू है। बॉन्ड और डिबेंचर पर एलटीसीजी के लिए भी कंसोलिडेटेड फिगर की जरूरत होती है। लेकिन, इसमें गलती की गुंजाइश नहीं है। कारण है कि इसमें बेची गई यूनिट के बिक्री मूल्य और खरीद के असली मूल्य के आधार पर कैलकुलेशन किया जाता है।
आयकर विभाग को सुधारना चाहिए गलती
एक्सपर्ट कहते हैं कि टैक्स फाइलिंग शुरू होने से पहले आयकर विभाग को इस गलती को सुधार लेना चाहिए। पाटीदार सलाह देते हैं कि टैक्स फाइल करने वालों को हड़बड़ी नहीं मचानी चाहिए। कारण है कि आईटीआर-2 फॉर्म में बदलाव होने की संभावना है।
यह होता है एलटीसीजी और एसटीसीजी
इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश की अवधि अगर एक साल से ज्यादा है तो उसे लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट कहा जाता है। किसी एक वित्त वर्ष में एक लाख रुपये से ज्यादा के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। निवेश की अवधि एक साल से कम होने पर उसे शॉर्ट-टर्म इंवेस्टमेंट कहा जाएगा। जबकि इस तरह के निवेश से हुए गेंस को शॉर्ट-टर्म कैपिटलग गेंस (STCG) कहते हैं। STCG पर 15 फीसदी टैक्स लगता है। यह भी पढ़ें : बच्चे की उम्र 15 साल हो जाने पर फिर से कराना होती है बायोमेट्रिक पहचान