भारत में गहनों की मांग ने तोड़े चार साल के रिकॉर्ड

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नई दिल्ली। जनवरी-मार्च तिमाही में घरेलू स्तर पर सोने के गहनों की मांग 125.4 टन की रही, जो पिछले चार साल में सबसे अधिक है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के मुताबिक इस वजह से वैश्विक स्तर पर गहनों के लिए सोने की मांग करीब एक प्रतिशत बढ़कर 530.3 टन रही।

समग्र तौर पर गहनों के लिए सोने की मांग बढ़ाने में भारत की भूमिका इस लिहाज से बड़ी मानी जा रही है कि कैलेंडर वर्ष 2019 की पहली तिमाही के दौरान चीन में गहनों के लिए सोने की मांग करीब 2 प्रतिशत घटकर 184.1 टन रह जाने का अनुमान है।

डब्ल्यूजीसी के मुताबिक पहली तिमाही में वैश्विक पैमाने पर सोने की समग्र मांग 7 प्रतिशत बढ़कर 1,053.3 हो गई। इसमें केंद्रीय बैंकों और ईटीएफ की तरफ से की गई खरीदारी की बड़ी भूमिका रही। इस दौरान दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने 145.5 टन सोना खरीदा। साल 2013 के बाद से अब तक पहली तिमाही में केंद्रीय बैंकों के गोल्ड रिजर्व में यह सबसे बड़ी बढ़ोतरी है।

डब्ल्यूजीसी की रिपोर्ट में कहा गया, ‘मौजूदा माहौल में सोने की खरीदारी बढ़ने की सबसे बड़ी वजह यह है कि लोग सुरक्षित और लिक्विड एसेट (ऐसी संपत्ति जिन्हें आसानी से बेचा जा सके) चाह रहे हैं।’

सोने की मांग और बढ़ने के आसार
सोने के हाजर भाव वायदे की तुलना में प्रीमियम पर हैं। कारण यह है कि, खास तौर पर निवेश के लिए सोने की मांग देखी जा सकती है। 2019 की दूसरी छमाही में सोने से अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद की जा रही है।

विश्लेषकों का अनुमान है कि सोना 1,250-1,350 डॉलर प्रति औंस की ऊपरी रेंज की ओर कामकाज कर सकता है। दूसरी छमाही में ग्लोबल लेवल पर अनिश्चिता बढ़ने के आसार हैं, ऐसे में सोने की कीमते बढ़ सकती हैं। विश्लेषक यह भी मानते हैं कि सेंसेक्स के 39 हजार का स्तर पार करने से हो सकता है कि निवेशकों का ऊपरी स्तर पर जोखिम नजर आए, क्योंकि वैल्यूएशन ज्यादा है।

दूसरी छमाही ग्लोबल मार्केट्स के लिए अहम
विश्लेषकों के मुताबिक दूसरी छमाही ग्लोबल मार्केट्स के लिए अहम रहेगी। ईरान को प्रतिबंध से मिली छूट खत्म करने के अमेरिकी ऐलान और ओपेक देशों की तरफ से कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती जारी रखने से आयातकों की लागत बढ़ेगी। इससे इक्विटी मार्केट पर नकारात्मक असर हो सकता है। ऐसा होने पर सुरक्षित समझी जाने वाली ऐसेट्स की मांग ज्यादा हो जाएगी। जिसमे सोना सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है।

लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न की संभावना
इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के मुताबिक लंबी अवधि में सोने से निश्चित रूप से बेहतर रिटर्न मिलेगा। डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होने से भारतीय बाजार में सोने का भाव फिलहाल गिरा है। लेकिन, कच्चे तेल के दाम बढ़ने के कारण रुपए में कमजोरी आ सकती है। ऐसा होने पर भारतीय बाजार में सोना मजबूत होगा। इससे निवेशक आकर्षित होंगे। ग्लोबल इवेंट्स में अनिश्चितता के साथ सोने की कीमतें 1,250-1,350 डॉलर की ऊपरी रेंज में रहने का अनुमान है। ऐसे में अब सोने की कीमते घटने की आशंका नहीं है।
अजय केडिया, केडिया कमोडिटी