कोटा। दुर्घटना राहत ट्रेनों की निगरानी के लिए रेलवे ने अब जीपीएस एवं इंटरनेट आधारित ट्रैकिंग सिस्टम रेल नेत्र विकसित किया गया है। ये सिस्टम पश्चिम मध्य रेलवे के भोपाल मंडल ने बनाया है। अब तक इस तरह का कोई सिस्टम नहीं था, जिससे दुर्घटना स्थल पर राहत कार्यों के लिए लगाई गई ट्रेनों की निगरानी की जा सके।
इस सिस्टम से रेल अधिकारी ये पता कर सकेंगे कि दुर्घटना स्थल पर फिलहाल क्या काम हो रहा है। साथ ही अधिकारी निर्देश भी दे सकेंगे कि किस तरह से काम कर शीघ्र राहत कार्य किया जा सकता है। इस सिस्टम के ईजाद होने से राहत कार्य तेजी से हो सकेगा।
भोपाल मंडल पर कुल 12 दुर्घटना राहत गाड़ियाें के अलावा कई एआरटी और एमआरवी वैन हैं। दो क्रेन 140 टन की हैं। रेल नेत्र तकनीक के इस्तेमाल से दुर्घटना के बाद राहत कार्य की इंटरनेट आधारित प्लेटफार्म एवं मोबाइल एप के माध्यम से निगरानी की जा सकती है।
कंट्रोल रूम से राहत परिस्थितियों की वास्तविक समय पर ट्रैकिंग की जा सकती है। दुर्घटना होने की स्थिति में इन गाड़ियों की परिचालन रास्ते में देरी पर निगरानी में दुर्घटना राहत प्रबंधन में सुधार होगा। सिस्टम के द्वारा रूट मैपिंग एवं हिस्ट्री ट्रैकिंग भी की जा सकेगी।
जिससे विभिन्न दुर्घटना राहत परिस्थितियों के परिचालन, वास्तविक चलन, मॉक ड्रिल, पिट परीक्षण, यार्ड, रूट का विलंब की निगरानी की जा सकेगी। यह सभी गतिविधियां रूट मैप एवं हिस्ट्री ट्रैकिंग के द्वारा सत्यापित की जा सकेंगी।
सिस्टम सभी प्रकार का रिकॉर्ड रखेगा। इसके उपयोग से डिटेंशन कम करने तथा प्रबंधकीय निर्णय लेने में किया जा सकेगा। राहत परिस्थितियों की वास्तविक स्थिति की निगरानी मंडल एवं मुख्यालय द्वारा वेब आधारित सिस्टम के द्वारा किया जा सकेगा। जिससे समय एवं ऊर्जा की बचत होगी तथा कार्य क्षमता बढ़ेगी।