नई दिल्ली । वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष 2018-19 में सरकार सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) के मुकाबले राजकोषीय घाटे का 3.3 फीसद लक्ष्य हासिल कर लेगी। उन्होंने यह भी कहा है कि ग्लोबल स्तर पर तमाम अनिश्चितताओं के बावजूद भारत सात-आठ फीसद आर्थिक विकास दर हासिल करने के साथ ही दुनिया की सबसे तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
यहां फिक्की की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सात-आठ फीसद विकास दर हासिल करने की भारत में आंतरिक क्षमता है। हालांकि उन्हें इसके विपरीत अनुमान सुनने को मिलते हैं लेकिन वह इस रफ्तार के लिए पूरी तरह आश्वस्त हैं। उन्होंने कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद हम इस साल भी राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल कर लेंगे।
कच्चे तेल की तेजी और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट से चालू खाते के घाटे पर असर पड़ा। घाटे की दोहरी चुनौतियों का भी देश सामना करने में सक्षम है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के मुकाबले 3.3 फीसद राजकोषीय घाटे का लक्ष्य तय किया है।
पिछले वित्त वर्ष का घाटा 3.5 फीसद रहा था। ताजा आंकड़ों के मुताबिक राजकोषीय घाटा अप्रैल से अक्टूबर के बीच सात महीनों में बजट अनुमान का 103.9 फीसद हो चुका है।जेटली ने कहा कि कच्चे तेल की तेजी का भारत पर सीधे असर पड़ता है। आयात पर अत्यधिक निर्भरता होने के कारण मूल्य वृद्धि सहन करने की सीमित क्षमता है।
अगर भार क्षमता से अधिक होता है तो वह महंगाई, करेंसी एक्सचेंज रेट और चालू खाते के घाटे (सीएडी) पर असर डालता है। विदेशी मुद्रा की आय और व्यय के बीच का अंतर सीएडी जुलाई-सितंबर में बढ़कर 2.9 फीसद हो गया जबकि अप्रैल-जून में यह 2.4 फीसद था।
जेटली ने कहा कि जब भी ग्लोबल चुनौतियां हमारे सामने आती हैं, हम उनका सामना करने के लिए आंतरिक क्षमता बढ़ाने का प्रयास करते हैं। अर्थव्यवस्था का विशाल आकार होने के कारण इसका सामना कर लेते हैं। इसका विपरीत असर हम पर नहीं पड़ता है। चुनौतियों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कर्ज में कठिनाई दूर करना होगी और बाजार में तरलता की स्थिति सुधारनी होगी।