-दिनेश माहेश्वरी
कोटा। देश भर में तकनीकी संस्थानों में 60 प्रतिशत से अधिक यानी आठ लाख इंजीनियर स्नातक हर साल बेरोजगार रह जाते हैं। जब इंजीनियरिंग स्टूडेंट को मेडिकल की ही तरह सफलता का पर्याय माना जाता था। आज देश में ढेर सारे इंजीनियर हैं जिनमें से अधिकांश रोजगार योग्य नहीं हैं।
यही नहीं, केवल 15 प्रतिशत इंजीनियर प्रोग्रामर को ही 3200 संस्थानों से प्रस्ताव मिलते हैं जो नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रेडिएशन से संबद्ध हैं।अब जबकि ऑटोमेशन अधिकांश कार्यप्रणाली को रिप्लेस कर रहा है, ऐसे में रोजगार की चुनौतियां और गहरा गई हैं। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद का कहना है कि देश भर में तकनीकी संस्थानों में 60 प्रतिशत से अधिक आठ लाख इंजीनियर स्नातक हर साल बेरोजगार रह जाते हैं।
कुछ वर्षों पहले एक मैककिन्से रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में केवल एक चौथाई इंजीनियर ही रोजगार योग्य हैं। कुछ दूसरे अध्ययनों में यह प्रतिशत महज 20 ही आंका गया। कर्मचारी योग्यता फर्म के एक सर्वेक्षण में कहा गया कि 95 फीसदी भारतीय इंजीनियर अनफिट हैं। भारत के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थान जैसे आईआईटी से निकले स्नातक अभी भी डिमांड में हैं।
शेष अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों से हर साल हजारों की संख्या में स्नातक निकलकर आते हैं जिनके लिए रोजगार एक बड़ा सवाल है।आज भी, कई भारतीय अभिभावक अपने बच्चों को इंजीनियर बनने के लिए दबाव बनाते हैं। केवल मुट्ठी भर आईआईटी के बेहतरीन स्टूडेंट्स बहुत अच्छा वेतन पा रहे हैं लेकिन अधिकांश फ्रेशर्स के लिए यह आसान नहीं है।