आयुर्वेद उत्पादों पर जीएसटी में १२ फीसदी टैक्स से पतंजलि को एतराज

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नई दिल्ली। योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि का कहना है कि वह आयुर्वेदिक प्रॉडक्ट्स पर 12 पर्सेंट GST लगाने के फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए सरकार को पत्र लिख रही है। अभी इन प्रॉडक्ट्स पर 5 पर्सेंट टैक्स लगता है।

पतंजलि आयुर्वेद के प्रवक्ता एस. के. तिजारावाला ने LEN-DEN NEWS को बताया, ‘हम आम आदमी के हित में सरकार से आयुर्वेदिक कैटिगरी के लिए GST रेट पर दोबारा विचार करने का निवेदन कर रहे हैं। अच्छी सेहत या अच्छे जीवन के बिना अच्छे दिन नहीं आएंगे।’
आयुर्वेद पर आधारित टूथपेस्ट से लेकर शैंपू और बिस्कुट तक जैसे कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स बनाने वाली पतंजलि खुद को ‘स्वदेशी’ के तौर पर पेश करती है।

तिजारावाला ने कहा कि कंपनी मुनाफा कमाने के लिए नहीं, बल्कि आम आदमी के लिए किफायती दामों पर इलाज और देखभाल के लिए बिजनस कर रही है। उन्होंने बाबा रामदेव की ओर से कहा, ‘आयुर्वेदिक प्रॉडक्ट्स पर अधिक GST रेट निराश करने वाला है। हम उन लोगों में से हैं , जिन्होंने कंज्यूमर्स के लिए किफायती दामों पर आयुर्वेद को फायदेमंद बनाया है। अब इस रास्ते पर अन्य कंपनियां चल रही हैं।’

बाबा रामदेव ने बताया था कि पतंजलि का टूथपेस्ट में 9 पर्सेंट और हेयर ऑयल में 8 पर्सेंट मार्केट शेयर है। पतंजलि की ओवर-द-काउंटर यूनिट दिव्य फार्मेसी ने कंपनी की कुल सेल्स में 8 पर्सेंट का योगदान दिया है। आयुर्वेदिक सेगमेंट में पतंजलि की बड़ी सफलता के बाद अधिकतर बड़ी कंज्यूमर गुड्स कंपनियों ने अपने पोर्टफोलियो में आयुर्वेदिक प्रॉडक्ट्स को शामिल किया है।

अधिक GST रेट के कारण प्रभावित होने वाली अन्य कंज्यूमर गुड्स कंपनियों में डाबर और इमामी शामिल हैं। डाबर इंडिया के सीएफओ ललित मलिक ने पिछले सप्ताह कहा था कि आयुर्वेदिक प्रॉडक्ट्स पर 12 % GST लगाने के सरकार के फैसले से कंपनी को निराशा हुई है। उनका कहना था।

‘हमारा मानना है कि इससे आयुर्वेदिक कैटिगरी पर ऐसे समय में प्रतिकूल असर पड़ेगा । जब सरकार परंपरागत भारतीय वैकल्पिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के बारे में बात कर रही है।’ 1 जुलाई से GST रेट लागू होने से कंज्यूमर प्राइसेज पर असर के बारे में पतंजलि आयुर्वेद का कहना है कि वह प्राइस बढ़ाने पर अंतिम फैसला लेने से पहले इनपुट क्रेडिट अजस्टमेंट को देखेगी।