नई दिल्ली। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेंस्टिगेशन (CBI) ने IDBI बैंक के 600 करोड़ रुपये डिफॉल्ट के आरोपी एयरसेल के पूर्व प्रमोटर सी शिवशंकरण के खिलाफ लुकाउट सर्कुलर को नरम कर दिया है। वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई हेडक्वॉर्टर के निर्देश पर सर्कुलर के प्रावधानों को हल्का करते हुए शिवशंकरण सहित अन्य को विदेश जाने की छूट दे दी गई है, जबकि जांच अधिकारी और बेंगलुरु ब्रान्च ने इस कदम का विरोध किया था। इसके अलावा, केस की जांच को बैंक सिक्यॉरिटीज ऐंड फ्रॉड सेल (BS&FC) बेंगलुरु से ऐंटी करप्शन यूनिट-3 दिल्ली शिफ्ट कर दिया गया है।
एजेंसी ने BS&FC में इसी साल 13 अप्रैल को सी शिवशंकरण, IDBI बैंक के टॉप मैनेजमेंट में सीएमडी स्तर के अधिकारी एम एस राघवन, अन्य सरकारी बैंक के पूर्व एमडी सीईओ मेलविन रीगो, किशोर खरत और पीएस शेनॉय और बीएसई चेयरमैन एस रवि सहित 39 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।
2010-14 के बीच 600 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड में IDBI बैंक के तत्कालीन एग्जिक्युटिव डायरेक्टर बी रविंद्रनाथ को भी आरोपी बनाया गया। एजेंसी ने एफआईआर में शामिल लोगों के नाम सभी एयरपोर्ट को सर्कुलर जारी किया था। आंत्रपन्योर शिवशंकरण के पास ससेल्स की नागरिकता है। सूत्रों के मुताबिक उन्हें 12 अगस्त और 1 सितंबर के बीच भारत में पूछताछ के लिए बुलाया था।
सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने संबंधित जांच अधिकारी और ब्रान्च के हेड को मौखिक रूप से निर्देश दिया कि वे आव्रजन प्राधिकरणों को सर्कुलर नोटिस को हल्का करने के लिए लिखें, जिससे शिवशंकरण और अन्य विदेश यात्रा कर सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि जब जांच अधिकारी और बेंगलुरु ब्रान्च के प्रमुख ने ऐसा करने से इनकार कर दिया तो चांच को AC-3 यूनिट दिल्ली शिफ्ट कर दिया गया। यहां से इमिग्रेशन अथॉरिटीज को सर्कुलर में बदलाव करने को कहा गया।
शिवशंकरण 2G घोटाले से संबंधित एयरसेल-मैक्सिस केस के मुख्य शिकायतकर्ता थे जिसमें पूर्व टेलिकॉम मिनिस्टर दयानिधि मारन और उनके भाई कलानिधि का नाम था। वह इस समय विदेश में हैं। जब TOI ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की तो फोन उठाने वाले व्यक्ति ने कहा कि वह इस समय पुर्तगाल में हैं।
सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक, सर्कुलर को नरम करने को लेकर दलील दी गई कि इन अधिकारियों को विदेशों में सेमिनार और कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेना है। एजेंसी रीगो, खारत, शिनॉय, रवि और रविंद्रनाथ से पहले पूछताछ कर चुकी है।
आरोप है कि शिवशंकरण की दो विदेशी कंपनियों को 322 और 523 करोड़ रुपये का लोन दिया गया, जो एनपीए में तब्दील हो गया। एफआईआर के बाद सीबीआई की ओर से कहा गया था कि IDBI बैंक के बड़े अधिकारियों ने नियमों और जोखिमों को नजरअंदाज करते हुए शिवशंकरण को लोन दिया और यह एनपीए में तब्दील हो गया।