नई दिल्ली। यूपी और हरियाणा में वैट कटौती के बाद दिल्ली में पेट्रोल-डीजल की बिक्री घटने से परेशान पेट्रोलियम डीलर्स ने एक दिन की हड़ताल का फैसला किया है। राजधानी में करीब 400 पेट्रोल पंप 22 अक्टूबर को बंद रहेंगे। डीलर्स का दावा है कि दिल्ली में पेट्रोल-डीजल 2.50 रुपये प्रति लीटर तक महंगा होने के चलते उनकी सेल्स 40-50% तक घट गई है।
दिल्ली पेट्रोलियम डीलर्स असोसिएशन की मैनेजिंग कमिटी की बुधवार को हुई बैठक में हड़ताल का फैसला किया गया। असोसिएशन के प्रेजिडेंट निश्चल सिंघानिया ने बताया, ‘हम दिल्ली सरकार पर वैट दरें घटाकर यूपी, हरियाणा के बराबर करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उसकी ओर से कोई सकारात्मक रुझान नहीं मिला है। कमिटी ने फैसला किया है कि 22 अक्टूबर की सुबह 6 बजे से अगले 24 घंटे के लिए राजधानी के सभी पंप बंद रहेंगे और इन पर पेट्रोल और डीजल की बिक्री नहीं होगी।’
सिंघानिया ने बताया कि पड़ोसी राज्यों में वैट कटौती से नोएडा और गाजियाबाद के मुकाबले दिल्ली में पेट्रोल 2.48 रुपये और डीजल 1.90 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है, वहीं गुड़गांव व फरीदाबाद के मुकाबले पेट्रोल 1.31 रुपये और डीजल 1.10 रुपये महंगा हो गया है। बड़ी संख्या में गाड़ियां वहीं तेल भराने लगी हैं, जबकि इंडस्ट्रियल और कमर्शल सेल्स भी उधर शिफ्ट हो रही है। बीते एक हफ्ते में पेट्रोल और डीजल की बिक्री 40-50 पर्सेंट तक घट गई है। सिंघानिया ने बताया कि दिल्ली सरकार वैट नहीं घटाने के पीछे रेवेन्यू लॉस देख रही है, जबकि उसके राजस्व को बिक्री गिरने के चलते ज्यादा नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि कीमतों में अंतर के चलते लोग दिल्ली का यूरो-6 फ्यूल छोड़कर एनसीआर में यूरो-4 ग्रेड का तेल भरवा रहे हैं, जिससे राजधानी में पलूशन का खतरा भी बढ़ा है।
दिल्ली में एक दिन के बंद से करीब 36 लाख लीटर पेट्रोल और 31 लाख लीटर डीजल की बिक्री ठप रहेगी और इससे वैट रेवेन्यू को लगभग 10 करोड़ रुपये का झटका लगेगा। पिछले हफ्ते तक दिल्ली, यूपी और हरियाणा में वैट दरें लगभग बराबर थीं और पेट्रोल पर 27% और डीजल पर 17% की दर से टैक्स लग रहा था। हालांकि, यूपी और हरियाणा में करीब ढाई रुपये प्रति लीटर की कटौती के बाद एनसीआर में कीमतें घट गई हैं। विपक्षी दल भी दिल्ली सरकार पर वैट घटाने का दबाव बना रहे हैं। 28 सितंबर को चंडीगढ़ में उत्तरी राज्यों के वित्तमंत्रियों की बैठक में कीमतें घटाने के लिए एक रिवीजन कमिटी गठित की गई थी, जिसकी रिपोर्ट पर चर्चा के लिए 15 दिन में फिर मंत्रियों की बैठक होनी थी। लेकिन यूपी, हरियाणा सहित सभी बीजेपी शासित राज्यों में वैट कटौती के बाद अब यह बैठक भी खटाई में पड़ गई है।