नई दिल्ली। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को लॉन्च कर दिया है। दुनिया की इस सबसे बड़ी हेल्थकेयर स्कीम को ‘ओबामा केयर’ की तर्ज पर ‘मोदी केयर’ का नाम भी दिया जा रहा है। इस स्कीम के तहत देश के 10 करोड़ गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये तक कैशलेस स्वास्थ्य बीमा कराया जाएगा। यानी करीब 50 करोड़ लोग इसके दायरे में आएंगे।
ऐसा माना जा रहा है कि यह योजना किसी बीमारी में व्यक्ति की क्षमता से अधिक पैसे खर्च होने में 32 फीसदी तक की कटौती लाएगी। हालांकि अभी इस योजना को लेकर कुछ चिंताएं भी हैं जिनका निवारण बाकी है।
सरकार पर कितना भार: इस वित्तीय वर्ष में सरकार पर इस योजना के तहत 5000 करोड़ रुपये का खर्च बैठेगा। अगले साल तक यह योजना जब पूरे भारत में प्रभावी हो जाएगी तो यह खर्च 10 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। इसमें से 60 फीसदी हिस्सा केंद्र से मिलेगा जबकि बाकी का 40 फीसदी भार राज्य उठाएंगे।
चिंताएं: दुनिया की सबसे बड़ी इस हेल्थकेयर स्कीम से जुड़ी कुछ चिंताएं भी हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र में पहले से कम खर्च कर रही है। ऐसे में हेल्थ बजट का एक बड़ा हिस्सा आयुष्मान भारत की तरफ चले जाने से प्राइमरी केयर के सेक्टर पर दबाव बढ़ेगा। लंदन स्थित इंडिपेंडेंट ग्लोबल लीडर्स के संगठन ‘द एल्डर्स’ ने कहा है कि भारत एक अक्षम और असमान अमेरिकी शैली की स्वास्थ्य प्रणाली को बनाने का जोखिम उठा रहा है।
क्या हैं उपाय: सरकार ने बजट 2018 में एक फीसदी हेल्थ सेस को शामिल किया। इससे करीब 11000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त फंड इकट्ठा होगा। सरकार इस पैसे का इस्तेमाल आयुष्मान भारत में करने की तैयारी में है।
प्राइवेट प्लेयर्स पर दारोमदार: सरकारी अस्पतालों के अपर्याप्त नेटवर्क को देखते हुए इस योजना की सफलता निजी क्षेत्र की भागीदारी पर निर्भर करेगी। हालांकि प्राइवेट अस्पतालों का कहना है कि 1350 बीमारियों या चिकित्सा प्रक्रियाओं के लिए सरकार की तरफ से तय किए गए पैकेज रेट काफी कम हैं। उदाहरण के लिए सीजेरियन केस में पांच दिन अस्पताल में रुकने के लिए पैकेज रेट 9000 रुपये तय किया गया है। प्राइवेट प्लेयर्स को उम्मीद है कि इन रेट्स में जल्द ही बदलाव की घोषणा होगी।
30 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों ने एमओयू साइन किया: अबतक 30 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशओं ने आयुषमान भारत को प्रभावी बनाने के लिए एमओयू साइन कर लिया है। हालांकि तेलंगाना, ओडिशा, दिल्ली, केरल और पंजाब ने अभी साइन नहीं किया है ।
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इसलिए इन राज्यों में योजना लागू नहीं होगी। अस्पताल के पैनल में शामिल होने के लिए अबतक 15686 आवेदन आ चुके हैं। इनमें से 8735 प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों को स्कीम में शामिल भी किया जा चुका है। 1280 से अधिक अस्पतालों में पायलट प्रॉजेक्ट शुरू भी कर दिया गया है।