नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में साफ कर दिया है कि 30 जून से आधार को अनिवार्य कर दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कोर्ट को बताया कि अलग-अलग समाज कल्याण योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने संबंधी 30 जून की समय सीमा आगे नहीं बढ़ाई जाएगी।
जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ के सामने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि वेलफेयर स्कीम के लिए आधार को अनिवार्य बनाने का मकसद यही है कि इसका लाभ उन लोगों तक नहीं पहुंचे जो अस्तित्व में ही नहीं हैं, जैसा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसी योजनाओं के मामले में पाया गया है।
उन्होंने केंद्र सरकार की विभिन्न अधिसूचनाओं को चुनौती देने और अंतरिम राहत का अनुरोध किए जाने पर भी आपत्ति की और कहा कि इस मामले को 5 सदस्यीय संविधान पीठ के सामने सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना चाहिए। रोहतगी ने कहा कि इससे पहले भी इसी तरह की अंतरिम राहत के लिए याचिकाएं दायर की गईं थीं और वे मामले सुप्रीम कोर्ट के पास लंबित हैं।
पीठ ने कहा कि अंतरिम राहत के लिए दायर सभी याचिकाओं पर वह एक साथ सुनवाई करेगी ताकि दोहराव से बचा जा सके। कोर्ट ने इसके साथ ही इस मामले को 27 जून के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट जब इस सवाल पर विचार कर रही थी कि क्या इन मामलों को गर्मी की छुट्टियों के दौरान ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।
तभी एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि इसमें शीघ्र सुनवाइ की आवश्यकता है। यदि इस पर 30 जून से पहले सुनवाई नहीं होती है तो फिर केंद्र को इसकी समय सीमा आगे बढ़ानी चाहिए। इस पर रोहतगी ने कहा कि इसका कोई सवाल ही नहीं उठता। कोर्ट ने अंतरिम राहत का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाओं को 27 जून को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है।