नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 72वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ऐलान किया कि भारत 2022 तक यानी अगले 4 साल के अंदर अंतरिक्ष में अपना मानव मिशन पहुंचाएगा। अगर यह मिशन हकीकत में तब्दील हुआ, तो हर साल नए कीर्तिमान गढ़ रहे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए यह सबसे स्वर्णिम पल होगा।
भारत ऐसा चौथा मुल्क बन जाएगा, जिसने अपने नागरिक को अंतरिक्ष में भेजा है। बता दें कि भारत का स्पेस मिशन बेहद संघर्षों से भरा रहा है। जब हमने अपना पहला रॉकेट छोड़ा था तब उसके कुछ हिस्सों और पेलोड को बैलगाड़ियों और साइकिलों पर लादकर लॉन्च पैड तक पहुंचाया गया था। आइए एक नजर भारत के स्पेस मिशन पर…
भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान की गतिविधियों की शुरुआत 1960 के दौरान हुई थी। अमेरिका में भी उपग्रहों का इस्तेमाल करने वाले अनुप्रयोग परीक्षणात्मक चरणों पर थे। अमेरिकी उपग्रह ‘सिनकॉम-3’ द्वारा प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में तोक्यो ओलिंपिक खेलों के सीधे प्रसारण ने संचार उपग्रहों की क्षमता को प्रदर्शित किया।
जिससे वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक ने तत्काल भारत के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के फायदों को पहचाना। इसके बाद 16 फरवरी 1962 को परमाणु ऊर्जा विभाग ने अंतरिक्ष अनुसंधान राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR) का गठन किया और तुंबा भूमध्यरेखीय रॉकेट लॉन्चिंग सेंटर (टर्ल्स) ने काम करना शुरू किया।
1963 में भारत ने पहला रॉकेट लॉन्च किया
उस समय तिरुअनंतपुरम के बाहरी इलाके में स्थित तुंबा के भूमध्यरेखीय रॉकेट प्रक्षेपण स्टेशन (टर्ल्स) में इमारत नाम की कोई चीज नहीं थी। वहां के सेंट मैरी मैगदालेने गिरजाघर के बिशप का घर ही परियोजना-निदेशक का कार्यालय बन गया था और चर्च की इमारत में कंट्रोल रूम खोल दिया गया था।
21 नवंबर, 1963 को यहीं से रॉकेट के प्रक्षेपण के बाद धुएं की लकीर के सहारे खाली आंखों से रॉकेट की ट्रैकिंग की जा रही थी। रॉकेट के हिस्सों और पेलोड को बैलगाड़ियों और साइकिलों पर लाद कर लॉन्च पैड तक पहुंचाया गया।
12 साल बाद पहला सैटलाइट लॉन्च
12 साल बाद यानी 19 अप्रैल 1975 में भारत ने पहली बार अपना परीक्षण उपग्रह आर्यभट्ट एक रूसी रॉकेट के जरिए आसमान में छोड़ा। बुनियादी ढांचे के न होने से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन बेंगलुरू के वैज्ञानिकों ने उस समय एक शौचालय को आंकड़े प्राप्त करने के केंद्र में बदल दिया था। आज हमारा देश अपने लिए और दूसरे देशों के लिए उपग्रहों का निर्माण करने के साथ-साथ उनक प्रक्षेपण भी कर रहा है।
1980 में पहला स्वदेशी सैटलाइट वीइकल लॉन्च
18 जुलाई 1980 को भारत ने पहले स्वदेशी सैटलाइट वीइकल SLV-3 के जरिए रोहिणी सैटलाइट को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से यह सैटलाइट लॉन्च किया गया था। इसके बाद भारत अंतरिक्ष में दबदबा बनाने वाले 6 देशों के क्लब में शामिल हो गया था।
अंतरिक्ष में कदम रखने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा
1984 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और सोवियत संघ के इंटरकॉसमॉस कार्यक्रम के एक संयुक्त अंतरिक्ष अभियान के तहत राकेश शर्मा 8 दिन तक अंतरिक्ष में रहे। वह उस समय भारतीय वायुसेना के स्क्वॉड्रन लीडर और विमानचालक थे।
2 अप्रैल 1984 को दो अन्य सोवियत अंतरिक्षयात्रियों के साथ सोयूज टी-11 में राकेश शर्मा को लॉन्च किया गया था। उनकी अंतरिक्ष उड़ान के दौरान भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राकेश शर्मा से पूछा था कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है। राकेश शर्मा ने उत्तर दिया था, ‘सारे जहां से अच्छा’।
1987 में ASLV प्रोग्राम लॉन्च
SLV-3 की तुलना में ज्यादा पेलोड ले जाने में सक्षण ASLV प्रोग्राम की शुरुआत मार्च 1987 से हुई। यह पहले यान की तुलना में सस्ता भी था। 24 मार्च 1987 को एएसएलवी केऑनबोर्ड पर स्रोस-1 ने पहली उड़ान भरी लेकिन इसे कक्षा में नहीं रखा जा सका।
अक्टूबर 2008, चंद्रयान-1
भारत ने 22 अक्टूबर 2008 को अपना पहला चंद्र मिशन चंद्रयान-1 श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह 2009 तक काम कर रहा था। खास बात यह है कि इस मिशन की घोषणा भी पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2003 में अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में की थी। ISRO अब इसी साल चंद्रयान 2 को लॉन्च करने की भी योजना बना रहा है।
मंगलयान
भारत ने 5 नवंबर 2013 को मंगल ग्रह की परिक्रमा के लिए आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पहला मंगल मिशन मंगलयान लॉन्च किया। इसके साथ ही भारत भी अब उन देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने मंगल पर अपने यान भेजे हैं। खास बात यह है कि एशिया में इसरो ही ऐसी स्पेस एजेंसी है जिसका मंगल मिशन सफल रहा हो। यह यान 24 सितंबर 2014 को मंगल पर सफलतापूर्वक पहुंच गया था।
इस साल फरवरी में भारत ने पीएसएलवी सी-37 के जरिए एकसाथ 104 उपग्रह प्रक्षेपित कर अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में नया अध्याय लिखा। इनमें कार्टोसैट श्रृंखला का कार्टोसैट-2 उपग्रह भी शामिल था। यह रॉकेट 6 अलग-अलग देशों के पेलोड लेकर रवाना हुआ था। इस शानदार कामयाबी ने भारत को दुनिया में छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण की सुविधा प्रदान करने वाले देश के रूप में स्थापित कर दिया।
भारत के नए संचार उपग्रह जीसैट-17 को 28 जून को फ्रेंच गियाना से एरियन-5 रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया। इससे मौसम संबंधी और उपग्रह आधारित खोज व बचाव सेवाओं में मदद मिलेगी जो अब तक भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (इनसैट) के जरिए संचालित की जाती थीं।
इसरो ने पीएसएलवी सी-38 का प्रक्षेपण किया। इसके जरिए पृथ्वी के प्रेक्षण के लिए 712 किलोग्राम वजन के कार्टोसेट-2 के साथ-साथ छोटे-छोटे 30 अन्य उपग्रह भी आकाश में भेजे गए जिनमें से कई यूरोप के देशों के थे। पीएसएलवी का यह एक के बाद दूसरी लगातार सफलता प्राप्त कर