नई दिल्ली । मंदी के दौर से गुजर रहे रियल एस्टेट क्षेत्र में जान फूंकने में जुटी सरकार को अगर नीति आयोग की सिफारिशें रास आईं तो नया फ्लैट खरीदने वालों और बिल्डरों को बड़ी राहत मिल सकती है। आयोग ने इस क्षेत्र को गति देने के लिए प्रत्यक्ष व परोक्ष करों में छूट का विशेष पैकेज देने की वकालत की है।
आयोग ने दिल्ली जैसे महानगरों और टियर-1 शहरों में निर्माणाधीन प्रॉपर्टी पर जीएसटी में मौजूदा 33 प्रतिशत अबेटमेंट को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का आग्रह किया है। ऐसा हुआ तो नए फ्लैट पर जीएसटी का बोझ काफी कम हो जाएगा।सूत्रों ने कहा कि नीति आयोग ने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के साथ मिलकर एक नोट तैयार कर वित्त मंत्रालय को भेजा है।
हाल में कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल की पहल पर रियल एस्टेट की स्थिति पर हुई शीर्ष स्तरीय बैठक में इस पैकेज के मुख्य बिन्दुओं पर चर्चा भी हुई है। फिलहाल रियल एस्टेट पर जीएसटी 18 प्रतिशत है लेकिन जमीन के मूल्य के एवज में 33 प्रतिशत प्रतिशत अबेटमेंट के बाद जीएसटी की प्रभावी दर 18 प्रतिशत से कम होकर 12 प्रतिशत रह जाती है।
सूत्रों ने कहा कि आयोग ने दिल्ली जैसे महानगरों और टियर-1 शहरों में 33 प्रतिशत अबेटमेंट को बढ़ाकर 50 प्रतिशत अबेटमेंट करने की सिफारिश की है। अगर ऐसा हुआ तो फ्लैट पर जीएसटी का बोझ कम हो जाएगा। इतना ही नहीं आयोग का तो यहां तक कहना है कि रियल एस्टेट पर जीएसटी की दर घटाकर 12 प्रतिशत और अबेटमेंट के साथ आठ प्रतिशत कर दी जाए।
आयोग ने आयकर कानून की धारा 24 के तहत एक वित्त वर्ष में ब्याज चुकाने के एवज में मिलने वाली दो लाख रुपये कटौती की सीमा को बढ़ाकर साढ़े तीन लाख रुपये करने की सिफारिश की है। इससे उन लोगों को राहत मिलेगी जो हाउसिंग लोन चुका रहे हैं। साथ ही ब्याज भुगतान के एवज में कटौती की इस सुविधा को कंस्ट्रक्शन अवधि में भी देने को कहा है। अभी यह सुविधा उस वित्त वर्ष से मिलती है, जिसमें फ्लैट का कब्जा मिला है।
इसी तरह आयोग ने बिल्डरों को राहत देने के इरादे से आयकर कानून की धारा 32 (5) के तहत उस प्रावधान को भी खत्म करने की सिफारिश की है जिसके तहत किसी आवास परियोजना के एक वर्ष पूरा होने के बाद बिल्डर के पास स्टॉक में पड़े बिना बिके फ्लैट्स पर नोशनल रेंटल वैल्यू के आधार पर आयकर देने का प्रावधान है। आयोग के अनळ्सार या तो इस प्रावधान को खत्म कर दिया जाए या फिर अवधि को बढ़ाकर तीन वर्ष कर दिया जाए।
सूत्रों ने कहा कि आयोग ने अपनी सिफारिशों में यह भी कहा है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी अचल संपत्ति बेचकर दो मकान खरीदता है तो उसे लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स से छूट मिलनी चाहिए। फिलहाल सिर्फ एक मकान के लिए ही इस तरह की छूट प्राप्त है।
परोक्ष करों के मुद्दे पर आयोग ने सीमेंट सहित अन्य तरह की निर्माण सामग्री पर दरें घटाने की भी सिफारिश की है। आयोग की इस सिफारिश के बाद 21 जुलाई को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में पेंट और वार्निश जैसे आइटम पर जीएसटी की दरें कम करने का फैसला किया गया लेकिन सीमेंट पर जीएसटी की दर अब भी 28 प्रतिशत है।