नहीं मान रहे PF अधिकारी पेंशन बढ़ाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश 

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नई दिल्‍ली। कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन (EPFO) के अधिकारी हायर पेंशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को जानबूझ कर लागू नहीं कर रहे हैं। EPFO ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए चेतावनी दी है कि हायर पेंशन के लिए योग्‍य मामलों के सेटलमेंट में देरी होती है या हायर पेंशन देने से इनकार किया जाता है तो इसके लिए रीजनल पीएफ कमिश्‍नर या रीजन का इन्‍चार्ज जिम्‍मेदार होगा। ऐसे में हायर पेंशन के लिए योग्‍य मामलों का सेटलमेंट नियमों के तहत तेजी से किया जाए। 

EPFO के बहुत से ऑफिस आवेदन के बावजूद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत पेंशन रिवाइज नहीं कर रहे हैं। रीजनल ऑफिस इसके लिए यह बहाना बना रहे हैं कि इस मामले में हेड ऑफिस से क्‍लैरिफिकेशन और गाइडलाइंस के लिए लिखा गया और हेड ऑफिस का अब तक जवाब नहीं आया है। जबकि ईपीएफओ के 16 ऑफिस ने 3570 पेंशनर्स की पेंशन रिवाइज करते हुए हायर पेंशन का एरियर भी दे दिया है।

हायर पेंशन नहीं बनती है तो 7 दिन में बताएं
EPFO के एडिशनल सेंट्रल PF कमिश्‍नर आरएम वर्मा ने सभी रीजनल पीएफ कमिश्‍नर्स (रीजन इन्‍चार्ज) को हाल में पत्र लिख कर कहा है कि हायर पेंशन के मामलों में नॉन सेटलमेंट के मामले बढ़ रहे हैं। अगर कोई व्‍यक्ति हायर पेंशन के लिए आवेदन करता है और उसका आवेदन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत पेंशन की समीक्षा के योग्‍य नहीं पाया जाता है तो उस व्‍यक्ति को आवेदन मिलने के 7 दिन के अंदर यह जानकारी दी जानी चाहिए।

हायर पेंशन पर क्‍या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 2016 के अपने एक आदेश में कहा है कि ईपीएफओ को पीएफ मेंबर्स को पेंशन फंड में पूरी सैलरी पर कंट्रीब्‍यूशन का ऑप्‍शन देना होगा। इसका मतलब है कि जिन लोगों ने 1 सितंबर, 2014 से पहले नौकरी ज्‍वाइन की है वे अपनी पूरी सैलरी पर पेंशन फंड में कंट्रीब्‍यूट कर सकते हैं। वे इसके लिए अपनी कंपनी और ईपीएफओ के पास आवेदन कर सकते हैं।

इनको नहीं मिल सकती ज्‍यादा पेंशन
अगर आपने सितंबर 2014 के बाद प्राइवेट सेक्टर में नौकरी ज्वॉइन की है तो पेंशन फंड में ज्‍यादा कंट्रीब्यूशन का ऑप्शन आपके लिए नहीं है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने सितंबर 2014 में वेज लिमिट 15,000 रुपए तय की थी।

आपकी कंपनी 15,000 रुपए का 12 फीसदी य ही पीएफ में कंट्रीब्यूट कर सकती है। इसका 8.33 फीसदी यानी 1250 रुपए ही आपके पेंशन फंड में जाता है। कंपनी के कंट्रीब्यूशन का बाकी पैसा इम्प्लाइज प्रॉविडेंट फंड में जाता है।