नई दिल्ली। केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2018-19 में शेल कंपनियों खिलाफ अपने अभियान का दूसरा चरण शुरू करेगी । इसके तहत 2.25 लाख ऐसी शेल कंपनियों की पहचान की गई है जिनका रजिस्ट्रेशन कैंसिल किया जाना है। माना जा रहा है कि इस कदम से शेल कंपनियों के जरिए काले धन को सफेद करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया जा लगा सकेगा।
2 लाख से अधिक कंपनियों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है रद्द
इससे पहले वित्त वर्ष 2017-18 में रजिस्ट्रार्स ऑफ कंपनीज (आरओसी) ने शेल कंपनियों की पहचान कर 2,26,166 कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल किया है। शेल कंपनियों के खिलाफ यह कदम कंपनीज एक्ट, 2013 के तहत उठाया गया है। इन कंपनियों ने लगातार दो या इससे अधिक वित्त वर्ष का फाइनेंशियल स्टेटमेंट या एनुअल रिटर्न फाइल नहीं किया है।
कंपनी मामलों का मंत्रालय लांच करेगा जागरुकता अभियान
कंपनी मामलों का मंत्रालय जल्द ही जागरुकता अभियान शुरू करेगा। इसके तहत लोगों को बताया जाएगा कि वे किस तरह से अपनी निष्क्रिय कंपनी को रजिस्ट्रैशन खुद ही रद्द करा सकते हैं। इसके अलावा सभी एजेसियों के बीच डाक्युमेंट और इन्फार्मेशन साझा करने का तंत्र बनाया गया है। डाक्युमेंट साझा करने के बारे में ऑपरेटिंग प्रोसीजर को अंतिम रूप दिया गया है। इसके लिए अपीलेट अथॉरिटी टास्क फोर्स है।
नोटबंदी के बाद शुरू हुआ था शेल कंपनियों के खिलाफ अभियान
केंद्र सरकार ने नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद शेल कंपनियों की पहचान कर उनके खिलाफ एक्शन लेने का अभियान शुरू किया था। सरकार का मानना है कि शेल कंपनियों के जरिए काले धन को सफेद करने का काम किया जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी काले धन के खिलाफ अभियान के तहत शेल कंपनियों का नेटवर्क खत्म करने की बात कही है।