वुहान/नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ वुहान में अनौपचारिक शिखर सम्मेलन की शुरुआत की। मोदी ने कहा कि भारत, चीन की अर्थव्यवस्था ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को को गति दी। चीन का न्यू एरा और हमारा न्यू इंडिया दुनिया को आगे ले जाएगा।
भारत चीन दुनिया में शांति, स्थिरता और समृद्धि ला सकते हैं। वहीं, शी जिनपिंग ने कहा कि वसंत में हो रही यह मुलाकात बेहद खास है क्योंकि वसंत को पवित्र माना जाता है। मोदी ने अपने स्वागत के लिए चीन का धन्यवाद दिया है।बता दें कि अपनी दो दिवसीय यात्रा पर गुरुवार देर रात चीन पहुंच गए।
वुहान एयरपोर्ट पर विदेश मंत्रालय के असिस्टेंट मिनिस्टर कॉग जुआंगयू और हुबेई के वाइस गवर्नर टॉग डाओचा ने उनका स्वागत किया। दोपहर को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मोदी का स्वागत किया और वुहान में अनौपचारिक शिखर सम्मेलन की शुरुआत की। दो दिनों के दौरान मोदी और जिनपिंग के बीच छह बैठकें प्रस्तावित हैं।
यह बैठक अनौपचारिक होगी। यानी इसके बाद किसी तरह का संयुक्त बयान जारी नहीं किया जाएगा। वर्ष 2014 में सत्ता संभालने के बाद मोदी की यह चौथी चीन यात्रा है।
पीएम मोदी से प्रोटोकॉल तोड़कर मिले जिनपिंग
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रोटोकॉल तोड़कर पीएम मोदी का स्वागत किया। उन्होंने मोदी से कहा कि वसंत में हो रही यह मुलाकात बेहद खास है क्योंकि वसंत को पवित्र माना जाता है।
वहीं पीएम मोदी ने जिनपिंग से कहा, ‘गर्मजोशी के साथ मेरा स्वागत करने के लिए शुक्रिया। चीन के काम ने मुझे बेहद प्रभावित किया है। बिजली के क्षेत्र में चीन का काम अनोखा है। मैं वुहान पहली बार आया हूं लेकिन ऐसा मौका पहले भी मिला है। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि चीन और भारत की सभ्यता नदी किनारे विकसित हुई है।’
ये सिर्फ अनौपचारिक बातचीत नहीं बल्कि ऐतिहासिक पल
अनौपचारिक शिखर वार्ता के दौरान पीएम मोदी ने सबसे पहले चीन को शानदार स्वागत के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जिनपिंग ने राजधानी के बाहर दो बार मेरा स्वागत किया। इसके लिए शुक्रिया। ये सिर्फ अनौपचारिक बातचीत नहीं बल्कि ऐतिहासिक पल है।
अनौपचारिक बातचीत के लिए जिनपिंग ने अच्छा माहौल बनाया। मैं और जिनपिंग दुनिया की 40 फीसदी आबादी के चेहरे हैं। 40 फीसदी आबादी का भला मतलब दुनिया को संकट से निकालना।
दोनों देशों के 5 तत्व दुनिया को बनाएंगे बेहतर
हमारे बीच का विश्वास दुनिया के लिए नई शक्ति बनेगा। दोनों देशों का विश्वास धीरे-धीरे लोगों के बीच बढ़ेगा। दोनों देशों के 5 तत्व संपर्क, सोच, सहयोग, संकल्प और सपने ये दुनिया को बेहतर बनाएंगे।इसके साथ ही मोदी ने जिनपिंग को अनौपचारिक बातचीत के लिए भारत आने का न्यौता भी दिया।
तनाव दूर होगा
मोदी और जिनपिंग की मुलाकात के दौरान दोनों ओर का प्रतिनिधिमंडल मौजूद रहेगा। दोनों नेता शनिवार को ईस्ट लेक जाएंगे और नौका की सवारी करेंगे। इस दौरान ईस्ट लेक गेस्ट हाउस में चर्चा भी होगी। भारत और चीन द्विपक्षीय संबंधों में आए तनाव को दूर करने की भरसक कोशिश करेंगे।
एशिया के दो दिग्गज देशों के बीच आपसी अविश्वास का इतिहास रहा है। दोनों देशों के बीच 2017 में डोकलाम विवाद को लेकर स्थिति और तनावग्रस्त हो गई थी। लेकिन मोदी और शी जिनपिंग की यह बैठक आपसी संबंधों को नए सिरे से शुरू करने की एक कोशिश है।
दोनों मुल्कों को है एक-दूसरे की जरूरत
चीन मामलों के जानकार और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर संजय भारद्वाज के मुताबिक, ऐसा नहीं हो सकता है कि भारत चीन के साथ और चीन भारत के साथ लंबे समय तक मुंह मोड़ ले या आपने संबंधों को खत्म कर ले। इकोनॉमी, कॉमर्स, डिप्लोमेसी समेत मौजूदा समय में ऐसे बहुत से मसले हैं, जहां भारत को चीन की और चीन को भारत की जरूरत है।
कई आर्थिक मंचों पर दोनों देश साथ काम कर रहे हैं। ऐसे में विरोध के समय दोनों देश अपनी अपनी चालें चलेंगे, लेकिन इसके बाद भी साथ-साथ काम करना पड़ेगा। भारद्वाज के मुताबिक, दोनों की अपनी आर्थिक जरूरत और जियो पॉलिटिकल मजबूरियां हैं। आइए इसी की पड़ताल करते हैं।