नई दिल्ली। विश्व बैंक ने इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था के 7.3% रहने का अनुमान जताया है। साथ ही कहा कि नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों के असर से अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे उबर रही है। बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी करते हुए 500 और 1000 के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। इसके बाद 1 जुलाई, 2017 को टैक्स सुधार के लिए गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू किया था। इसके बाद विकास दर 7% से नीचे चली गई थी।
अर्थव्यवस्था में सुधार जारी रहेगा
– विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक, 2019 और 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.5% रहेगी। बैंक ने साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस रिपोर्ट में कहा कि अर्थव्यवस्था की विकास दर 2017 में 6.7 से बढ़कर 7.3 रही। इसमें आगे भी सुधार जारी रहेगा और निजी कंपनियों और निवेश का इसमें अहम योगदान होगा।
– विश्व बैंक ने यह भी कहा कि नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों से अर्थव्यवस्था में गिरावट आई थी। जिसका सीधा असर भारत के निचले तबके पर देखने को मिला।
भारत ने जीडीपी विकास दर में चीन को पीछे छोड़ा
– सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 के तीसरी तिमाही में देश की जीडीपी विकास दर बढ़कर 7.2% हो गई। इसके साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था चीन को पीछे छोड़कर सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी बन गई। दिसंबर तिमाही में चीन की जीडीपी विकास दर 6.8% रही थी।
– इस साल संसद में पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे में 2018-19 में विकास दर 7 से 7.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था।
हर साल 81 लाख नौकरियों की जरूरत
– विश्व बैंक ने कहा- भारत को वैश्विक विकास में जगह बनाए रखने के लिए निवेश और निर्यात को बढ़ाना होगा। हर महीने 13 लाख नए लोग ऐसे होते हैं जिन्हें काम की जरूरत होती है। यही वजह है कि भारत को अपनी रोजगार दर बरकरार रखने के लिए सालाना 81 लाख रोजगार पैदा करने की जरूरत है, जो कि 2005-15 के आंकड़ों के एनालिसिस के मुताबिक लगातार गिर रही है। इसकी मुख्य वजह महिलाओं का नौकरी बाजार से दूर होना है।