कोटा। कोटा के जायकों में भले ही कचौरी अपना स्थान रखती है, लेकिन कोटा के चुनिंदा लोगों की पीढ़ियां रियासतकालीन समय से बनाए जा रहे फूड आइटम का स्वाद 100 साल से अधिक समय से बरकरार रखे हुए हैं। इनमें कोटा के कड़के नमकीन, घेवर और दूध मिश्री के लड्डू की अमेरिका, कनाडा और दुबई तक खास डिमांड है।
यहीं नहीं शहरवासियों को आज भी पुराने कोटा में 100 साल पुरानी चाय का स्वाद आज भी लोगों की पहली पसंद है। इनमें प्रमुख है मोहन सैनी के अलसी के तेल से बने कड़के नमकीन है तो भैरुलाल के देशी घी से बने घेवर, शंभू के दूध मिश्री के लड्डू, दूध-जलेबी और स्थानीय लोगों के लिए मथुरालाल की चाय खास है।
इनका कहना है कि आज भी समय के बदलाव के साथ वो क्वालिटी से समझौता करने को तैयार नहीं है। महंगाई भले ही बढ़ गई, लेकिन क्वालिटी पर पूरा ध्यान देना मकसद रहता है। ताकि हमारे प्रतिष्ठान के साथ ही लोग कोटा को भी याद रखें। कड़के नमकीन, घेवर और लड्डू का स्वाद तो विदेशों तक फेमस है।
विदेश भेजे जाते हैं कड़के नमकीन :रामपुरा कोतवाली की गली निवासी मोहन सैनी बताते हैं कि उनके पिता बख्शा सैनी ने शुद्ध अलसी के तेल से नमकीन बनाने का कार्य 1902 में शुरू किया था। इसके बाद वो अपने इसी पैतृक बिजनेस में लग गए। इसी कारण डाक विभाग की नौकरी तक नहीं की।
116 साल होने के बाद क्वालिटी बरकरार रखे हुए हैं। उन्होंने बताया कि शुद्ध अलसी के तेल से इन्हें तैयार किया जाता है। अमेरिका, जापान, दुबई के अलावा पाकिस्तान में भी इन कड़के नमकीन की डिमांड रहती है। यहां हर महीने सप्लाई होती है।
दूध मिश्री के लड्डू हैं खास:रामपुरा शंभू के दूध मिश्री के लड्डू की पहचान दुबई, कनाडा व अमेरिका तक पहुंच गई है। भरत प्रकाश सैनी बताते हैं कि हमारी तीसरी पीढ़ी इसे तैयार करने में लगी है। उनके द्वारा बनाए फूड आइटम में शुद्धता के साथ क्वालिटी पर पूरा ध्यान दिया जाता है। उन्होंने बताया कि दादा गोपाल सैनी द्वारा शुरू किया गया यह बिजनेस उनके पिता शंभू सैनी और अब वो जारी रखे हुए हैं। सबसे बड़ी बात है कि उनके द्वारा बनाए आइटम आइस बॉक्स में रखकर लोग विदेश लेकर जाते हैं।
चार पीढ़ी से घेवर बनाने का चल रहा है काम :आजादी से पहले रामपुरा में बनने वाले घेवर की शहर के अलावा विदेशों में डिमांड है। चौथी पीढ़ी के पंकज गोयल बताते हैं कि भैरुलाल घेवर वाले के नाम से उनका कारोबार है। कोटा के अलावा सिंगापुर, अमेरिका में रहने वाले परिवारों में गणगौर से लेकर अन्य तीज-त्योहार में यहां तैयार किए घेवर डिमांड रहती है। रबड़ी के घेवर और सालभर की उपलब्धता के कारण हाड़ौती से लोग यहां आते हैं। शुद्ध देशी घी से बना होने से खास पहचान है।