कोटा। हाड़ौती के किसानों की उम्मीदें हैं कि लहसुन की फसल के दाम उनकी उम्मीद के बराबर मिले। लेकिन वर्तमान में लहसुन के औसत बाजार भाव 1700 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं। ऐसे में लहसुन उत्पादक किसान अपनी लहसुन की फसल के वर्तमान भावों को लेकर गहरे चिंतित हैं।
वह इसलिए, क्योंकि संभाग के लहसुन उत्पादक किसानों की डिमांड है कि उन्हें 5000 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से नीचे लहसुन नहीं बिके। इधर, कृषि उद्यान विभाग ने इस बार संभाग में 716120 मीट्रिक टन लहसुन उत्पादित होने का अनुमान लगाया हैं। चूंकि चारों जिलों में इस बार 109510 हेक्टेयर में लहसुन बोया गया था।
कृषि उद्यान विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. रामावतार शर्मा के अनुसार 90 से 95 फीसदी लहसुन खोदा जा चुका है।
वहीं किसानों की डिमांड के मुताबिक लहसुन 5000 रुपए क्विंटल के हिसाब से बिकता हैं, तो उन्हें सम्मानजनक उपज का लाभ मिल जाएगा। इस भाव से उत्पादित लहसुन 3580 करोड़ रुपए का लहसुन होगा। वर्तमान में चल रहे बाजार भाव मिले, तो किसानों को सिर्फ उत्पादित लहसुन के 1217 करोड़ रुपए ही मिल पाएंगे। इन भावों से हाड़ौती के किसानों को सीधा-सीधा 2363 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।
पिछले साल से 28750 हेक्टेयर कम हुई बुवाई: पिछले साल लहसुन के दाम कम मिले थे। इस वजह से इस बार संभाग में 28750 हेक्टेयर में लहसुन की बुवाई कम हुई हैं। रबी सीजन वर्ष 2017-18 में 109510 हेक्टेयर में लहसुन बोया गया हैं। वर्ष 2016-17 में 138260 हेक्टेयर में लहसुन बोया गया था।
पिछली बार 650 क्विंटल लहसुन की सरकारी खरीद: पिछली बार किसानों को लहसुन का औसत भाव 1800 से 2500 रुपए मिलते थे। ऐसे में सरकार ने राजफेड को 3200 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से संभाग समेत प्रतापगढ़ के किसानों का 10 हजार मीट्रिक टन लहसुन खरीदने का लक्ष्य दिया था। लेकिन राजफेड सिर्फ 650 क्विंटल ही लहसुन खरीद पाया था। इस बार किसानों संगठनों ने कहा सरकार किसानों का पूरा लहसुन खरीदें।