नई दिल्ली। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि तेजी से प्रगति कर रही आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) दुनिया भर में श्रम बाजारों के लिए अभूतपूर्व अवसरों के साथ-साथ गंभीर चुनौतियां भी पेश करती है। समीक्षा में कहा गया है कि भारत को एआई के प्रभावों पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है और इसके लिए उम्दा संस्थान स्थापित करने पर ध्यान देना होगा।
समीक्षा में कहा गया है, ‘नीति निर्माता के तौर पर सरकार के लिए लगातार विकसित होती तकनीक की दुनिया और श्रम बाजार पर उसके संभावित प्रभाव पर गौर करना आवश्यक है।’ समीक्षा में बताया गया है कि भारत पर एआई के क्या प्रभाव होंगे और उसे किस ओर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि सरकार श्रम के बदले प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बढ़ाए जाने के फलस्वरूप कंपनियों को होने वाले मुनाफे पर कर लगाने के बारे में गंभीरता से विचार कर सकती है।’
समीक्षा में कहा गया है, ‘हालांकि श्रम पर एआई के प्रभाव को दुनिया भर में महसूस किया जाएगा। मगर भारत के लिए यह बड़ी चुनौती होगी क्योंकि उसकी आबादी काफी अधिक और प्रति व्यक्ति आय अपेक्षाकृत कम है। अगर कंपनियां एआई को धीरे धीरे लंबे समय में नहीं अपनाती हैं और संवेदना के साथ नहीं चलती हैं तो नीगित उपाय करने पड़ेंगे और होने वाले नुकसान का मुआवजा मांगना पड़ेगा।
ऐसे में राज्य को संसाधन जुटाने के लिए श्रम के बदले प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से होने वाले मुनाफे पर कराधान का सहारा लेना पड़ सकता है। आईएमएफ ने अपने एक पत्र में ऐसा ही सुझाव दिया है। यह सभी को बदतर स्थिति में धकेल देगा जिससे देश की वृद्धि क्षमता प्रभावित होगी।’
समीक्षा में कहा गया है कि देश में मानव केंद्रित एआई की स्वीकार्यता को बढ़ाने में शिक्षा और कौशल विकास महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं। इसलिए देश में श्रम के विस्थापन
को हरसंभव तरीके कम किया जा सकता है।
समीक्षा में नीति निर्माताओं, निजी क्षेत्र और शिक्षाविदों के बीच सहयोग का आह्वान किया गया है। उसमें कहा गया है, ‘भारत एआई से संचालित नवाचार को अपने सामाजिक लक्ष्यों के साथ जोड़ सकता है। इस बदलाव में समावेशिता एवं स्थिरता सुनिश्चित करने से लाभ को अधिकतम और व्यवधानों को कम किया जा सकता है।’
सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आर्थिक समीक्षा में एआई के प्रभाव के साथ-साथ कार्यबल की गुणवत्ता के बारे में भी बात की गई है। समीक्षा में कहा गया है कि भारत में रोजगार की चुनौती केवल आंकड़े ही नहीं बल्कि कार्यबल की समग्र गुणवत्ता को बेहतर करने की भी है।
समीक्षा में कहा गया है, ‘कार्यबल की गुणवत्ता में सुधार के लिए सॉफ्ट स्किल और बुनियादी दक्षता जैसे उन प्रमुख कौशल पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो उद्योगों के लिए काफी मायने रखते हैं।’
समीक्षा में बताया गया है कि एआई के चौतरफा प्रभावों से उभरने वाले नए अवसरों की स्थिति तभी साफ होगी जब एआई प्रयोगात्मक से व्यावहारिक हो जाएगा। मगर समीक्षा में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि भारत में मानव पूंजी की समग्र गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करना होगा।