सोया प्रदेश का दर्जा प्राप्त एमपी के किसान बदहाल, MSP से नीचे बिकी सोयाबीन

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इंदौर। मध्य प्रदेश को सोया प्रदेश का दर्जा फिर मिल गया है लेकिन राज्य के किसानों को फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी काफी कम दाम मिल रहे हैं। कुछ इलाकों में असमय बारिश से सोयाबीन की फसल को नुकसान होने से किसानों की दिक्कतें और बढ़ गई हैं। राज्य में सोयाबीन की सरकारी खरीद भी लक्ष्य की तुलना में काफी कम हो रही है।

मध्य प्रदेश का उज्जैन संभाग सोयाबीन का सबसे बड़ा उत्पादक इलाका है और इस क्षेत्र में उज्जैन, मंदसौर, नीमच, रतलाम, देवास, शाजापुर और आगर जिले आते हैं। उज्जैन जिले के किसान दिलीप पाटीदार ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया , ‘इन दिनों मंडियों में किसानों की सोयाबीन 4,000 रुपये क्विंटल के करीब बिक रही है जबकि इसका एमएसपी 4,892 रुपये प्रति क्विंटल हैं।

सरकार इस साल भले ही कुल उत्पादन बढ़ने का दावा करे, लेकिन कुछ इलाकों में इसके उत्पादन में कमी आई है। मेरे खेत में ही पिछले साल की तुलना में प्रति बीघा एक क्विंटल कम सोयाबीन पैदा हुआ है। ऊपर से भाव भी कम हैं।’

धार जिले के सोयाबीन किसान सुनील पाटीदार कहते हैं, ‘शुरू में सोयाबीन की फसल काफी अच्छी थी, लेकिन असमय बारिश से नुकसान हुआ। ऊपर से किसानों की सोयाबीन एमएसपी से 800 से 1,000 रुपये क्विंटल नीचे बिक रही है। सोया प्रदेश का दर्जा मिलने के बावजूद किसान बेहाल हैं।’

हरदा जिले के किसान रोहित काशिव ने इस उम्मीद में सोयाबीन नहीं बेची थी कि या तो मंडी में दाम पिछले साल जितने मिल जाएंगे या फिर सरकार एमएसपी पर सोयाबीन खरीद लेगी। पर सरकार 12 फीसदी नमी वाली सोयाबीन खरीद रही है, जबकि असमय बारिश से सोयाबीन में नमी का स्तर 14 से 15 फीसदी है।