नई दिल्ली। Soybean Price: सोयाबीन के उत्पादन, सरकारी खरीद और विदेशों से आयात में वृद्धि के कारण सोयाबीन उत्पादक, ट्रेडर्स, मिलर्स और एक्सट्रैक्टर्स की स्थिति बहुत ख़राब हो गई है।
सोपा के अनुसार सोयाबीन की उत्पादन स्थिति में इस वर्ष 125.82 लाख टन उत्पादन का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के 118.74 लाख टन से कुछ अधिक है। इसके अलावा, 8.94 लाख टन पुराने स्टॉक और आयात को मिलाकर कुल उपलब्धता 137.76 लाख टन हुई है, जो पिछले वर्ष की 149 लाख टन से कम है।
पिछले वर्ष की शुरुआत में 24 लाख टन पुराना स्टॉक था, जबकि उत्पादन 118.74 लाख टन और आयात 6.25 लाख टन था। इस वर्ष सोयाबीन के आयात में कमी आई है, और चालू तेल वर्ष में आयात 3 लाख टन तक सिमटने का अनुमान है।
बढ़ती उपलब्धता और सोयामील की घटती डिमांड का असर क्रशिंग पर पड़ा है और इस वर्ष क्रशिंग 117 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष 122 लाख टन से कम है। सोयामील निर्यात भी कम होकर 15.5 लाख टन रहने की उम्मीद है, जबकि पिछले वर्ष यह 22.75 लाख टन था। चालू सीजन के अंत तक सोयाबीन का बकाया स्टॉक 2.61 लाख टन तक गिर सकता है, जो पिछले वर्षों में सबसे कम स्तर पर होगा।
व्यापारिक अनुमान
सोयाबीन उत्पादन इस वर्ष 115 और पुराना स्टॉक 25 लाख टन यानि कुल उपलब्धता 140 लाख टन बैठ रही है। व्यापारियों का मानना है कि स्टॉकिस्टों और किसानों के पास बड़ी मात्रा में सोया का स्टॉक पड़ा हैं। प्रोसेसर्स, एक्सट्रैक्टर्स के पास अभी भी 30% पुराना स्टॉक उपलब्ध है।
सरकारी खरीद की स्थिति
उपरोक्त कारणों से, सरकारी खरीद के बावजूद सोयाबीन के भाव MSP ₹4,892 प्रति क्विंटल से नीचे बने हुए हैं। 3 दिसंबर 2024 तक सरकारी खरीद 2.54 लाख टन हो चुकी है, जिसमें सबसे अधिक खरीद मध्य प्रदेश से (1.3 लाख टन), महाराष्ट्र से (0.58 लाख टन) और तेलंगाना से (0.50 लाख टन) की गई है। इस वर्ष सरकारी खरीद का लक्ष्य 33.60 लाख टन रखा गया है, और नमी की मात्रा 15% तक बढ़ा दी गई है ताकि खरीद बढ़ाई जा सके।
इस वर्ष सरकारी खरीद 7-8 लाख टन तक पहुंच सकती है। यह खरीदी हुई सोयाबीन आगे विभिन्न एजेंसियों द्वारा बेची जाएगी, जैसा कि सरसों के मामले में हो रहा है। सरसों की सरकारी बिक्री के कारण मंडियों में भाव काफी कमजोर स्तर पर हैं।
खाद्य तेलों का आयात
- नवंबर में कुल खाद्य तेलों का आयात 16 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है। इसमें पाम तेल 8.5 लाख टन (अक्टूबर से +0.5%), सोयातेल 4.1 लाख टन (+20%) और सन ऑयल 3.41 लाख टन (+43%) आयात होने की संभावना है। कुल आयात अक्टूबर से 12% अधिक हुआ है।
- पिछले सप्ताह से पाम तेल के बाजार में बढ़ोतरी हो रही है, जिससे सोयातेल और सन ऑयल के आयात में वृद्धि हो सकती है।
- आयात शुल्क में वृद्धि के बावजूद, तेल-तिलहन की कीमतें कमजोर बनी हुई हैं। नेपाल और बांग्लादेश से भी रिफाइंड तेलों का आयात हो रहा है, लेकिन इसकी सटीक मात्रा बताना मुश्किल है, क्योंकि इन देशों से बॉर्डर खुले होने के कारण आयात कई रास्तों से होता है।
सोयाबीन बाजार पर असर
- उत्पादन और आयात में वृद्धि
एक ओर उत्पादन बढ़ा है, वहीं दूसरी ओर खाद्य तेलों का आयात भी बढ़ा है। इसके कारण घरेलू बाजार में सोयाबीन की भरमार हो गई है। - निर्यात पर असर
अर्जेंटीना और ब्राजील में सोयामील के भाव कई सालों के निम्न स्तर पर चल रहे हैं, जिससे भारत से सोयामील का निर्यात प्रभावित हो रहा है। - मिलर्स और एक्सट्रैक्टर्स की स्थिति
सोयाबीन की क्रशिंग डिमांड घट रही है, और मिलर्स और एक्सट्रैक्टर्स की स्थिति कमजोर हो रही है। - सरकारी स्टॉक की बिक्री
भविष्य में खरीदी गई सरकारी सोयाबीन स्टॉक को बाजार में बेचा जाएगा, जिससे बाजार में और अधिक सप्लाई आएगी और कीमतों पर दबाव बनेगा। - सोयामाल निर्यात पर इंसेंटिव की मांग
कई संघटनाओं और एसोसिएशनों ने सरकार से सोयामाल निर्यात पर इंसेंटिव देने की मांग की है। यदि यह डिमांड पूरी होती है, तो क्रशिंग डिमांड में बढ़ोतरी हो सकती है। - विदेशी और घरेलू बाजारों में भरपूर उपलब्धता
विदेशी और घरेलू दोनों बाजारों में सोयाबीन, सोयातेल और सोयामील की प्रचुर मात्रा उपलब्ध होने के कारण, सोयाबीन में तेजी का काम न करें।
निष्कर्ष
- बढ़ते उत्पादन, आयात और सरकारी खरीद के बावजूद, घरेलू और विदेशी बाजारों में भरपूर सप्लाई के कारण कीमतों में तेजी की संभावना कम बनी हुई है। मिलर्स, एक्सट्रैक्टर्स, और ट्रेडर्स के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।
- पिछले एक पखवाड़े से पाम तेल की कीमतों में अच्छी बढ़त देखी गई, अगर यह तेजी जारी रहती है तो इसके असर से भारतीय तेल-तिलहन बाज़ार भी तेज हो सकते हैं।
- इंडोनेशिया में पाम तेल उत्पादन में लगातार आ रही गिरावट से साथ-साथ बायो-डीजल में पाम की घरेलू खपत बढ़ेगी और निर्यात उपलब्धता घटेगी।
- मलेशिया में भी उत्पादन में दिक्कतें आ रहीं हैं, कुल मिलाकर भविष्य में पाम बाजार तेज रह सकते हैं और यह भाव सोयातेल से अधिक हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं।
- अगर पाम तेल बाजार बढे तो इसका असर भविष्य में भारतीय बाज़ारों पर पड़ सकता है।
- आयातित सभी तेलों में से पाम आयात सबसे अधिक होता है, अगर पाम बाजार बढे तो इससे सोयातेल और सन आयल बाज़ारों पर भी असर पड़ेगा।