नई दिल्ली। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा भारत को ‘सबसे बड़ा’ आयात शुल्क लगाने वाला देश कहे जाने के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि वह उन उत्पादों पर बढ़ा शुल्क वापस ले सकती हैं जो घरेलू उद्योग को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सीतारमण ने कहा, ‘मैं उन पर शुल्क हटा दूंगी, बशर्ते इससे जानबूझकर या अनजाने में हमारी उत्पादन क्षमता को नुकसान न पहुंचे। मैं दोनों के बीच संतुलन बनाए रखना चाहूंगी।’
सीतारमण ने कहा कि स्थानीय स्तर पर वस्तुओं के उत्पादन करने के लिए मौजूदा घरेलू कंपनियों की रक्षा करना उनका दायित्व है, साथ ही जो आयात पर निर्भर हैं, उनका संतुलन भी करने की जरूरत है। ट्रंप ने कई बार भारत की आलोचना करते हुए उसे उच्च शुल्क वाला देश बताया है। उन्होंने 2020 में भारत को ‘टैरिफ किंग’ कहा था। हाल में उन्होंने भारत को विदेशी वस्तुओं पर शुल्क का ‘बिगेस्ट चार्जर’ करार दिया, साथ ही आयात शुल्क का ‘एब्यूजर’ भी कहा। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर वह फिर से चुने जाते हैं तो अमेरिका जवाबी कर लगाएगा।
सीतारमण ने कहा कि आयात शुल्क बढाने का भारत का नीतिगत फैसला आयात पर रोक लगाने के लिए नहीं होता है। उन्होंने कहा, ‘हर शुल्क के मुताबिक उसके बारे में बताया जा सकता है, जो हमने लगाया है।’ अमेरिका के साथ भारत का कारोबार महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि वह भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार और निर्यात केंद्र है। वह भारत का चौथा सबसे बड़ा आयात केंद्र भी है।
दोनों देशों के बीच व्यापार तेज रहा है और यह बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान दोनों देशों के बीच वस्तु व्यापार करीब 120 अरब डॉलर रहा है। 35.3 अरब डॉलर अधिशेष के साथ व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है।
कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान कुल मिलाकर वस्तुओं व सेवाओं का द्विपक्षीय कारोबार 190.1 अरब डॉलर रहा है। जहां तक निवेश का सवाल है, वित्त वर्ष 2024 के दौरान अमेरिका, भारत का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत था, जहां से 4.99 अरब डॉलर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया, जो कुल एफडीआई आवक का 9 प्रतिशत है।