पटाखे चलाएं मगर सावधानी से, चन्द सैकण्ड की लापरवाही कहीं अंधकार में न बदल जाए

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नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय एवं डॉ. विदुषी पाण्डेय सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा

कोटा। जगमग ज्योति एवं उल्लास के प्रतीक दीपावली के अवसर पर पटाखों से लगने वाली चोट के कारण अनेक व्यक्ति (विशेषकर बच्चे) अपनी आँखों की ज्योति हमेशा के लिए खो बैठते हैं। पटाखे के कारण एक या दोनों आँखों में गंभीर चोट लगने के कारण उनका जीवन सदा के लिए अंधकारमय हो जाता है।

इससे भी खेद की बात यह कि पटाखे से चोटिल अधिकांश 15 साल की उम्र से कम के बच्चे होते हैं। छोटे बच्चे अक्सर अपने आस-पास की आतिशबाजी को देखने अथवा अधजले पटाखों को दोबारा जलाने का प्रयास करते समय ही गंभीर रूप से चोटिल हो सकते हैं। अधिकांश बच्चों के माता-पिता, परिजन बच्चों को आतिशबाजी चलाते समय निरीक्षण नहीं कर पाते हैं, जिससे आँख एवं चेहरे पर गंभीर चोट लगने का खतरा और बढ़ जाता है।

सुवि नेत्र चिकित्सालय एवं लेसिक लेजर सेन्टर कोटा के नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय एवं डॉ. विदुषी पाण्डेय ने बताया कि पटाखे से आँखों में कई तरह की चोट लग सकती है, जैसे कि कॉर्निया या पारदर्शी पुतली पर जख्म बनना, आँखों में खून उतर आना, पलकों का जल जाना या पलकों एवं कॉर्निया पर पटाखों की राख चिपक जाना।

इसके अतिरिक्त अत्यंत गंभीर चोट भी लग सकती है, जैसे पुतली में कट लगना, मोतियाबिन्द बनना, प्राकृतिक लेंस का विस्थापन होना या आँख के पर्दे (रेटिना) का फट जाना या आँख में इंफेक्शन हो जाना।

पटाखों से जख्मी बच्चे

पटाखे से 8 वर्षीय बालक की आँख हुई चोटिल
28 अक्टूबर को शुभम भील आयु 8 वर्ष निवासी कोटा की बायीं आँख में अचानक सूतली बम नामक पटाखा चल जाने के कारण गंभीर चोट लगी। नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय ने बताया कि पटाखे से गंभीर चोट लगने के कारण बायीं आँख के पर्दे में रक्त स्त्राव होने से बायीं आँख से दिखाई देना बहुत कम हो गया। अभी उसका उपचार जारी है।

पटाखे चलाते समय निम्न सावधानियों का विशेष ध्यान रखें-
1. पटाखें चलाते समय माता-पिता अपने-अपने बच्चों का विशेष ध्यान रखें। दीपावली के समय बच्चों को पटाखे लेकर अकेले घर से बाहर नहीं जाने देवें। बोतल या मटके में रख कर पटाखे या रॉकेट न चलायें। बोतल या मटका फूट जाने पर पटाखा व काँच दोनों ही नुकसान करते हैं। इससे चेहरे एवं आंखों पर गहरी चोट लग सकती है।
2. पटाखा न चले तो उसे पास न जाकर छुएं और न हीं नही पास जाकर देखें अथवा दोबारा जलाने का प्रयास करें । अचानक पटाखों के फट जाने से पास खड़े व्यक्तियों / विशेषकर बच्चों की आंखों अथवा चेहरे पर अचानक चोट लग सकती हैै।
3. भीड़भाड़ वाले स्थानों पर पटाखे न चलायें।  हाथ में पकड़कर पटाखा नहीं चलायें।
4. सड़क पर पटाखे, खास तौर से यातायात के बीच पटाखे न चलायंे। इससे अनायास ही कोई राह चलता व्यक्ति पटाखे की चपेट में आ जाता है।

सुरक्षित दीवाली मनाने के लिए निम्न बातों को ध्यान रखें-
1. पटाखे किसी सुरक्षित एवं खुले स्थान पर चलाये। कुछ परिवार मिलकर एक खुली जगह चुनें व बच्चों को पटाखों से दूर रखें।
2. पटाखा एक बार में न चलें, तो दोबारा पास जाकर नहीं जलाएँ।
3. पटाखे जलाते समय माता-पिता बच्चों पर विशेष निगरानी रखें। पटाखे जलाते समय आँखों की सुरक्षा के लिए सेफ्टी ग्लास का उपयोग करें।
4. सूती कपड़े पहने, ढीले कपड़ों से बचें व लटकते हुए स्कार्फ, दुपट्टे आदि पहन कर पटाखे न चलाएँं।
5. पटाखे एक-एक कर चलाएँ और जो न चलें उन्हें अंत में पानी की बाल्टी में डाल दें। एक-दो बाल्टी पानी हमेशा पास रखें। अधजले पटाखों से सावधान रहे व दूरी बनाकर रखें
6. आँख में पटाखों की चोट लगने पर तुरन्त नेत्र चिकित्सक से सम्पर्क करें एवं चिकित्सक के मार्गदर्शन अनुसार उपचार करायें।
7. ईको फ्रेन्डली दीपावली मनायें।

आतिशबाजी से संबंधित चोटों को रोकने एवं उसके खतरों को कम करने के लिए कई देशों में पिछले दो दशकों के दौरान कानून तैयार किये गये है। भारत सरकार द्वारा नॉईज पॉलिशयून कन्ट्रोल एवं रेग्यूलशन रूल्स 1999 के अनुसार रात्रि 10 बजे के बाद पटाखे चलाकर ध्वनि प्रदूषण करने पर सख्त मनाही है। परन्तु इस नियम की अवहेलना अनेकों देखी जा सकती हेै। ईको फ्रेन्डली दीवाली मनायें, एवं पर्यावरण बचाऐं। आतिशबाजी का प्रयोग सावधानी से करें व अपने बच्चों की आंखों को चोट से बचायें एवं सावधानी पूर्वक ज्योति पर्व दीपावली का त्यौहार उल्लास से बनायें।