कोटा। आदित्य सागर मुनिराज संघ ने जैन मंदिर ऋद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में भव्य चातुर्मास के अवसर पर गुरुवार को अपने नीति प्रवचन में बताया कि किस प्रकार से चीजों, लोगों और संबंधों का चयन करना चाहिए। जीवन में रिश्ते जोड़ने से पहले गहराई से सोच-विचार आवश्यक है।
हर चमकती हुई चीज़ सोना नहीं होती – यह सिद्धांत रिश्तों पर भी लागू होता है। व्यक्ति के बाहरी आकर्षण या स्थिति से प्रभावित होने की बजाय, उनके व्यवहार और चरित्र को परखना ज़रूरी है। जैसे स्कूल में कुछ दोस्त केवल टिफिन के लिए साथ आते थे, वैसे ही जीवन में भी कई लोग स्वार्थ के लिए नज़दीक आते हैं। इसलिए किसी को भी जल्दबाजी में अपनी ज़िंदगी का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए।
सबसे महत्वपूर्ण है जो आपको अच्छा लगता है और जो आपके लिए वास्तव में अच्छा है, इन दोनों में अंतर समझना होगा। जीवन में सफलता के लिए सही लोगों और चीज़ों को चुनना आवश्यक है। गुरूदेव ने श्रावको को समझाया कि जो चीज या व्यक्ति हमें अच्छा लगता है, वह जरूरी नहीं कि हमारे लिए भी अच्छा हो।
आज के समय में टीवी विज्ञापनों, माउथ पब्लिसिटी और अन्य बाहरी आकर्षणों से हम आसानी से प्रभावित हो जाते हैं, लेकिन हमें उन पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए। हमें यह समझने की जरूरत है कि असलियत और दिखावा में फर्क होता है।
प्रवचन में उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे कोलगेट जैसे उत्पादों के विज्ञापन ने कोयले से दांत साफ करने की प्राचीन परंपरा को बदल दिया और अब वही कंपनी चारकोल वाले उत्पाद लाकर पुराने तरीकों को फिर से अपना रही है। इसी तरह, हमें सिखाया गया कि त्वचा के रंग, वस्त्र या बाहरी दिखावे पर नहीं जाना चाहिए, बल्कि इंसान के स्वभाव और उसके व्यवहार को महत्व देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दोस्ती या किसी को अपने जीवन में जोड़ते समय उसकी परीक्षा अवश्य करनी चाहिए। जैसे हम सब्जी या अनाज खरीदते समय उसकी गुणवत्ता की जांच करते हैं। बिना सही जांच-पड़ताल के किसी को अपने जीवन में जोड़ना दुःख का कारण बन सकता है।
साथ ही हमें किसी भी प्रकार की अतिशयोक्ति से बचना चाहिए, जैसे ओवरटेक करते समय सतर्क न रहना खतरनाक हो सकता है। संदेश यह है कि हमें अपनी पसंद से अधिक उन चीजों को अपनाना चाहिए जो वास्तव में हमारे जीवन में सुख और संतोष लाती हैं, चाहे वह व्यक्ति हो, वस्तु हो, या संबंध हों।
इस अवसर पर सकल दिगम्बर जैन समाज के कार्याध्यक्ष जेके जैन, चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज आदित्य, कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा, ऋद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला, पारस कासलीवाल, पारस लुहाड़िया, दीपक नान्ता, पीयूष बज, दीपांशु जैन, राजकुमार बाकलीवाल, जम्बू बज, महेंद्र गोधा, पदम बाकलीवाल, अशोक पापड़ीवाल सहित कई शहरों के श्रावक उपस्थित रहे।