कोच्चि। मसाला बोर्ड के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यानी अप्रैल-जून 2024 के दौरान मसालों की निर्यात आय 1.152 अरब डॉलर तक ही पहुंच सकी जो वर्ष 2023 के इन्हीं महीनों की निर्यात आमदनी 1.164 अरब डॉलर से कुछ कम रही।
इसका प्रमुख कारण लालमिर्च के शिपमेंट में 29 प्रतिशत की भारी गिरावट आना है। मसाला बोर्ड के मुताबिक निर्यात की मात्रा एवं आमदनी के दृष्टिकोण से लालमिर्च सबसे प्रमुख मसाला है।
अप्रैल-जून 2024 में इसके निर्यात से केवल 26.50 करोड़ डॉलर की आमदनी प्राप्त हो सकी जो अप्रैल-जून 2023 के दौरान प्राप्त निर्यात आय 37.667 करोड़ डॉलर से 29 प्रतिशत कम रही। मात्रा की दृष्टि से भी मसालों का निर्यात समीक्षाधीन अवधि में 1.37 लाख टन से 17 प्रतिशत घटकर 1.14 लाख टन के करीब अटक गया।
भारतीय लालमिर्च के दो शीर्ष खरीदार- चीन तथा बांग्ला देश में मांग कमजोर रहने से इस महत्वपूर्ण मसाले के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई। लेकिन लालमिर्च के निर्यात में आई गिरावट की काफी हद तक भरपाई जीरा, हल्दी, कालीमिर्च एवं इलायची जैसे मसालों ने पूरी कर दी।
समीक्षाधीन अवधि के दौरान जीरा की निर्यात आय 22.30 करोड़ डॉलर से 13 प्रतिशत बढ़कर 25.10 करोड़ डॉलर तथा निर्यात मात्रा 53,399 टन से 46 प्रतिशत उछलकर 78,087 टन पर पहुंच गई।
हालांकि इस अवधि में हल्दी का निर्यात 57,557 टन से करीब 20 प्रतिशत घटकर 46,497 टन पर अटक गया लेकिन ऑफर मूल्य काफी ऊंचा रहने से इसकी निर्यात आय 6.292 करोड़ डॉलर से 44 प्रतिशत उछलकर 9.057 करोड़ डॉलर पर पहुंच गई।
बड़ी (काली) इलायची का निर्यात 247 टन से 40 प्रतिशत बढ़कर 346 टन पर पहुंचा जबकि इसकी निर्यात आय 23.30 लाख डॉलर से 179 प्रतिशत उछलकर 64.90 लाख डॉलर पर पहुंच गई।
इसी तरह छोटी इलायची की निर्यात मात्रा 1059 टन से 68 प्रतिशत बढ़कर 1782 टन पर तथा निर्यात आय 167.70 लाख डॉलर से 107 प्रतिशत उछलकर 347.10 लाख डॉलर पर पहुंच गई।
कालीमिर्च का निर्यात 4174 टन से 14 प्रतिशत बढ़कर 4750 टन पर पहुंचा और निर्यात आमदनी 205.20 लाख डॉलर से 26 प्रतिशत उछलकर 259.10 लाख डॉलर पर पहुंच गई। इसके अलावा सौंफ एवं इमली के निर्यात में भी इजाफा हुआ लेकिन धनिया एवं लहसुन के निर्यात में भारी गिरावट दर्ज की गई।