Edible Oil Import: जुलाई में रिकॉर्ड खाद्य तेल आयात के बाद अगस्त में धीमा पड़ा

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नई दिल्ली। Edible Oil Import: चालू तेल वर्ष (नवंबर से अक्टूबर) के दौरान जुलाई में रिकॉर्ड खाद्य तेल आयात के बाद अगस्त में इनका आयात धीमा पड़ गया। अगस्त महीने में सालाना और मासिक दोनों आधार पर खाद्य तेलों के आयात में गिरावट दर्ज की गई है।

चालू तेल वर्ष के पहले 10 महीने में खाद्य तेल आयात 3 फीसदी घटा है। इस दौरान रिफाइंड तेलों की हिस्सेदारी में भी कमी दर्ज की गई है, जबकि कच्चे पाम तेल की हिस्सेदारी बढ़ी है। इस बीच, खाद्य तेल उद्योग ने सरकार से रिफाइंड और क्रूड दोनों खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग की है।

एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अगस्त महीने में 15.36 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ, जो पिछली समान अवधि के आयात 18.52 लाख टन से करीब 16 फीसदी कम है। साथ ही यह जुलाई महीने के आयात 18.40 लाख टन से भी करीब 15 फीसदी कम है।

अखाद्य तेलों को मिलाकर अगस्त में कुल तेलों का आयात 16 फीसदी घटकर 15.63 लाख टन दर्ज किया गया। इन तेलों के आयात में इतनी बड़ी गिरावट की वजह जुलाई में रिकॉर्ड आयात के बाद रिफाइंड तेल यानी आरबीडी पामोलीन, क्रूड पाम तेल और सूरजमुखी तेल का आयात कम होना है।

जुलाई में 1.36 लाख टन आरबीडी पामोलीन का आयात हुआ था, जो अगस्त में गिरकर 92 हजार टन रह गया। इसी तरह जुलाई में 3.66 लाख टन के मुकाबले अगस्त में सूरजमुखी तेल का आयात घटकर 2.84 लाख टन रह गया।

चालू तेल वर्ष में जुलाई तक खाद्य तेलों के कुल आयात में बढ़ोतरी देखी गई। लेकिन अगस्त महीने में 16 फीसदी की बड़ी गिरावट के बाद अब चालू तेल वर्ष में कुल खाद्य तेल आयात में कमी आने लगी है। SEA के मुताबिक चालू तेल वर्ष की नवंबर-अगस्त अवधि में 134.71 टन खाद्य तेल आयात हुए, जो पिछली समान अवधि में आयात हुए 139.74 लाख टन से 3.5 फीसदी कम है। अखाद्य तेलों को मिलाकर कुल खाद्य तेल आयात पहले 10 महीने में 3 फीसदी घटकर 136.87 लाख टन दर्ज किया गया।

रिफाइंड तेलों की हिस्सेदारी घटी
चालू तेल वर्ष के पहले 10 माह के दौरान रिफाइंड तेलों की हिस्सेदारी में कमी देखने को मिल रही है। चालू तेल वर्ष में अगस्त 16.10 लाख टन रिफाइंड तेलों का आयात हुआ, जिसकी कुल खाद्य तेल आयात में हिस्सेदारी 12 फीसदी रही, जो पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में आयात हुए 19.24 लाख टन तेल के साथ 14 फीसदी हिस्सेदारी से कम है। इसी अवधि में कच्चे पाम तेल की हिस्सेदारी 86 फीसदी से बढ़कर 88 फीसदी हो गई है। हालांकि इस दौरान कच्चे पाम तेल का आयात 120.50 लाख टन से घटकर 118.60 लाख टन रह गया। लेकिन कच्चे पाम तेल का आयात रिफाइंड तेलों की तुलना में कम घटा है।